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૩૪ દીવૈતાઢયાનુ વર્ણન
अवतरणः- हुवे ३४ दीर्घवैताढ्यनु स्व३५ मा ४ गाथामा अडेवाय छे-पुव्वावरजलहिंता, दसुच्चदसपिहुलमेहलचउक्का । पणवीसुच्चा पन्नास तीस दस जोअण पित्ता ॥ ७९ ॥ वेहिं परिरिकत्ता, सखयरपुरपन्नसट्ठिसेणिदुगा | सदिसिंदलोगपालोव भोगिउवरिल्ल मेहलया ॥ ८० ॥ दुदु खंड विहिअ भरहे - रवया दुदु गुरुगुहा य रुप्पमया । दो दीहा अड्डा, तहा दुतीसं च विजयसु ॥ ८१ ॥ णवरं ते विजयंता, स खयरपणपन्नपुर दुसेणीआ । एवं खयरपुराई, सगतीससयाई चालाई ॥ ८२ ॥ शब्दार्थ:
पुव्व अवर-पूर्व भने पश्चिम जलहि अंता-समुद्रना संतवाणी दस उच्च - १० योनी
दस पिहुल - १० न पडेगी मेहलचउका - यार मेणसावाजा
परिक्खित्ता-वीटायला
स-सहित
खयरपुर- फेयरनां नगरी; विद्याधरनां
નગર
पन्नसट्टि - ५० मने ६० सेणि दुगा
शिवाजा
दुदु खंड मे मे विलाग विहिअरेला
गुरुगुहा - भोटी गुवाजा
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पणवीस उच्चा-पशीस योजन या पन्नास-पास योभन
तीस-त्रीस योजन दस जोअण-हस योजन पिहुत्ता - पडेगा एवाजा
सविसि - पोतपोतानी द्विशिना
इंद लोगपाल - न्द्रना सोयागने
उपभोगी - उपलोग योग्य
उवरिल्ल - उपरनी
मेहलया भेजावाजा
हा अड्डा - दीर्घ वैताढ्य दुतीसं-त्रीस वैताढ्य विजसु मत्रीस विन्न्योभां