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________________ १८५ ... मदन सासन सेवा जैनशासन जिकै डोलतो राखियो, साखियो जगत सगलै कहायौ ॥ १ ॥ एक दिन पातिशाह आगरे कोपियो, दशनी एक आचार चूपयो । शहरथी दुरि काढी सबै सेवडा. मेवडा हाथ फुरमाण सूक्यो ॥ १ ॥ आगरे शहर नागौर अरु मेडते, माहिम लाहोर गुजराति माहै । देश दन्दोल सबली पड्यो तिहां कणे, तुरत ना पंथिया तुवक वाहे ॥ ३ ॥ दर्शनी केई पर होपमें चढि गया, केइ नासो गया कच्छ देशे । फेर्दि लाहोर फेद रहा भूहिमां. दर्शनी केई पाताल पैसे ॥ ४ ॥ तिण समय युगप्रधान जगि राजियो, श्रीजिनचन्द्र तेजे सवायो । पुज्य अणगार पाटण थकी पांगुर्या, आगरे पातिझ्या पास आयो |॥ ५ ॥६ तुरत गुरुरायनै पातशाह तेडिया, देखि दीदार अतिमान दीधा । अजवकी छाप पुरमाण करि आखिया. के डला गुनहु सहु माफ कीधा ॥ ६ ॥ जैनशासन तणी टेक रासी लरी, ताहरै आज कोइ न तोल । सरतर गच्छने शाम चाढो करी, 'समयसुन्दर' विरुद् सांच वोलें ॥ ७ ॥
SR No.011554
Book TitleYuga Pradhan Jinachandrasuri
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDurlabhkumar Gandhi
PublisherMahavirswami Jain Derasar Paydhuni
Publication Year
Total Pages444
LanguageGujarati
ClassificationSmruti_Granth
File Size14 MB
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