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... मदन सासन सेवा जैनशासन जिकै डोलतो राखियो,
साखियो जगत सगलै कहायौ ॥ १ ॥ एक दिन पातिशाह आगरे कोपियो,
दशनी एक आचार चूपयो । शहरथी दुरि काढी सबै सेवडा.
मेवडा हाथ फुरमाण सूक्यो ॥ १ ॥ आगरे शहर नागौर अरु मेडते,
माहिम लाहोर गुजराति माहै । देश दन्दोल सबली पड्यो तिहां कणे,
तुरत ना पंथिया तुवक वाहे ॥ ३ ॥ दर्शनी केई पर होपमें चढि गया,
केइ नासो गया कच्छ देशे । फेर्दि लाहोर फेद रहा भूहिमां.
दर्शनी केई पाताल पैसे ॥ ४ ॥ तिण समय युगप्रधान जगि राजियो,
श्रीजिनचन्द्र तेजे सवायो । पुज्य अणगार पाटण थकी पांगुर्या,
आगरे पातिझ्या पास आयो |॥ ५ ॥६ तुरत गुरुरायनै पातशाह तेडिया,
देखि दीदार अतिमान दीधा । अजवकी छाप पुरमाण करि आखिया.
के डला गुनहु सहु माफ कीधा ॥ ६ ॥ जैनशासन तणी टेक रासी लरी,
ताहरै आज कोइ न तोल । सरतर गच्छने शाम चाढो करी,
'समयसुन्दर' विरुद् सांच वोलें ॥ ७ ॥