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अध्ययन दसमुं.
[२०५] से एगतिओ मणुन्नं भोयणजायं पडिगाहित्ता पंतेण भोयणेण पलिच्छाएति “मामेतं छाइयं संतं दृढणं सय-माइए आयरिए वा जाव गणावच्छेइए बा, णो खलु से कस्सवि किंचि दायव्वं सिया," माइमाणं संफासे, णो एवं करज्जा, से त मायाए तत्थ गच्छेज्जा (२) पुवामेव उत्ताणए हत्थे पडिग्गहं कट्ट “ इमं खलु इमं खलु ति " आले, एज्जा, णो किंचिनि णिगृहेज्जा । (६२६)
से एगतिओ अण्णतरं भोयणजायं पडिगाहेज्जा, भद्दयं [-] भोच्चा बिवन्नं (२) समाहरति, माइदाणं संफासे । णो एवं करेजा। [६२७]
, से भिक्खू वा (२) सेज्जंपुण जाणेज्जा, अंतरुच्छ्यं वा उच्छगंडियं वा, उच्छचोयगं बा, उच्छमेरगं वा, उछसालगं वा उछ्डालगं व संबलि, वा, संबलिवालगं वा; अरिंस खलु पडिग्गाहियंसि अप्पे सिया भोयण
कोइ मुनि मनोहर भोजन लावीने मनमां विचारे के " रखेने आ खुल्लु बतावश तो आचार्य के उपरी साधु लइ लेगे पण मारे तो कोइने आप, नथी" एम विचारी ते मनोहर भोजनने हलका भोजन पडे ढांकी करीने पछी आचार्यादि कने बताये तो ते दोप पात्र थाय छे. माटे एम मुनिए नहि कर; किंतु ते मनोहर भोजनना पात्रने ऊंचा हाथमा खुल्ठे धरीने “आ आ रहो, आ आ रघु" एम खुल्डं बतान. कंइ पण वस्तु छुपादवी नहि. [६२६]
कोइ मुनि लावेला भोजनमाथी सारं सारं खाइ करीने स्राव खराब बनाबवा जाय तो ते दोपपात्र थाय छे, माटे तेम पण नहि कर. [६२७]
मुनिए गेलडीनी गांटो, गांटावालं ककडं, शेलडीना छाला, शेलडीनां पूंछटा, शेलडीनी आखी शाखा के तेनो कटको के वाफैली मगफळी के वालनी