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अध्ययन नवमुं.
(१४१) एस विही अणुकतो, माहणेण मइमया; बहुसो अप्पडिन्नेण, भगवया एवं रियंति त्ति बेमि ।२३। [४८३]
[द्वितीय उद्देशः चरियासणाई सेज्जाओ, एगतियाओ जामो भइयाओ; आइक्ख ताई सयणा, सणाइं जाइं सेवित्था से महावीरो 191 [४८४]
१ अयंच श्लोक श्चिरंतनटीककारेण न व्याख्यातः सूत्रपुस्तकेषु तु दृश्यते।
ए रीते मतिमान् महान निरीह भगवान वीर प्रभुए अनेक रीते एवी विधि पाळी छ. ए विधिमा वीजा मुनिओए पण कर्म खपाववा यत्न करतो. (४८३)
बीजो उद्देश.
(महावीर खामिनी वसति) वीर प्रभुए विहार करता जे जे स्थळे निवास कर्यो ते ते स्थळो आ प्रमाणे छे. (४८४) .