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अध्ययन आठमुं. वडियं परं अणाढायमाणे-त्ति बेमि । (३९५)
इह मेगेसि आयारगोयरे णो सुणिसंते भवति । ते इह आरंभद्री अणुवयमाणे, “हणपाणे" घायमाणे, हणतो यावि समणुजाणमाणे, अदुवा अदिन्न माड्यंति, अदुवा वायाओ विप्पउंजंति; तंजहा, अस्थि लोए, णत्थि लोए, धुवे लोए, अधुवे लोए, सादिए लोए, अणादिए लोए, सपज्जवसिते लोए अपज्जवसिते लोए सुकडे-त्ति वा दुक्कडे-त्ति वा, कल्लाणे-त्ति वा, पावे-ति वा, साधू-त्ति वा असाधू-त्ति वा, सिद्धी-त्ति वा, असिद्धी-चि वा, णिरए-त्ति वा, अनिरए-ति वा (३९६)
मुना घोय, तोपण ते ओर्लंगीने पधार " ए रीते वोलीने जूदा धर्मने पाळनार तेओ आवता थका के जता थका कइ आपे के आपवा माटे निमंत्रण करे अथवा कंइ वैयारत्य करे तो ते कबुल कर नहि. किंतु जेम बने म अलगा रहे
केटलाएकाने' आचार संबंधी पावतनी माहिती होती नथी तेथी तेओ आरंभना अर्थी थइने परधर्मिओना वचनोनी नकल करीने " जीवोने मारो" एवं कही वीजा पासे जीवोने मरावे छे, अने जीवना मारनारने रुडं जाणे छे, अथवा अणदीधेलं लेता रहे छे, अथवा अनेक प्रकारना नीचे मुजय वाक्यो बोले छ:-एक कहे छे "लोक छ" वीजारे कहे छे "लोक नयी." एक कहे छ "लोक निश्चल छे" वीजा कहे के "चळ [फरतो] छे." एक कहे छे "लोक आदिसहित छे, " वीजा कहे छे “अनादि छे. एक कहे छ “लोकतुं अंत छ,” पीजा कहे छे "नथी." एक कहे छे "ए ठीक कर्यु," वीजा कहे छे "ए खोटं फर्यु." एक कहे छे “ए कल्याण छे," मीजा कहे छ “ए पाप छे." एक कहे छ आ साधु छे," वीजा" कहे छे “ए असाधु छे." एक कहे छे "सिद्धि छे," भीजा कहे छ " सिद्धि नथी." एक को छे "नरक छे," वीजा कहे छे "नरक नयी." [३९६]
१ पासत्या बगेरेने. २ नास्तिक. १ भूमोळयादी.