SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 657
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रेमी-अभिनदन-ग्रंथ मेंहदी रचाते समय भी इन्ही दिनो जो गीत गाया जाता है, उसे भी देखिए कहां से मांदी आई हो सौदागिरलाल, कांहां धरी विकाय माउदी राचन मोरे लाल, अग्गम में माउदी आई हो सौदागिरलाल, पच्छिम धरी विकाय माउदी राचनू मोरे लाल, कार्य से मांदी चोटियौ सौदागिरलाल, कार्य से लइयो पोछ, माउदी राचन मोरे लाल; सिल लोडा घर बांटियो, सौदागिरलाल, लियो कचुरतनपौछमाउदी राचनू मोरे लाल कीने रचाई दोई छींगुरी सौदागिरलाल, कीने रचायेदोई हात, माउदी राचनू मोरे लाल, देउरा रचाई दोई छींगुरी सौदागिरलाल, भौजी रचायेदोई हात माउदीराचनू मोरे लाल, भौजी की रच केवली परौं, सौदागिरलाल, देवरा की रच भई लाल, माउदी राचनू मोरे लाल; किये बताई दोई छींगरी, सौदागिरलाल, किये बतायेदोऊ हात,माउदीराचनू मोरे लाल, देवरा बताई अपने भाई कौं, सौदागिरलाल, किय बताऊँदोऊ हाथ, माउदी राचनू मोरे लाल, xxx कुछ पक्तियां इन्ही दिनो गाये जाने वाले मंगादा गीत की भी देखिये - साउन मइना नीको लगे, गेंउडे भई हरयाल, साउन में भुजरियाँ ब दियौ, भादी में दियौ सिराय, ऐसो है भैया कोऊ घरमी, बहिनन को लियो है बुलाय, पासों के साउना घर के करी, प्रागे के दे है खिलाय: सोने की नावें दूध भरी सो भुजरियां लेव सिराय, के जेहं तला की पार पै, के जैहै भुजरियां सूक, घरौं भुजरियां मानिक चौक में, वीरा घरी लुलाय, कैसी बहिन हट परी, बर वट लेत पिरान, पासों के सउना जूझ के है। आगे के दे है कराय, इन्ही दिनो टेसू, मामूलिया, हरजू झिझिया और नारे सुप्रटा के गीतो मे आनन्द-विभोर होकर जब वच्चो की टोली की टोली एक स्वर से गाती है टेसू पाये बाउन वीर, हात लिये सोने का तीर, उस समय एक बार फिर वयोवृद्धो में भी वचपन की लहर दौड जाती है ।
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy