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ज्ञानानन्द
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राग सोरठ
कोइ योगी हमकुं. जाने री, मेरो कोइ नामकुं जान || को० टेक ॥ मानस नहि हम नारि नहि, नाहि नपुंसक जान || को० १ ॥
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दादा बाबा नहि हम काका, ना हम कुण के बाप | को० । नाना मामा हम नहि मासा, कोइसें नहि आलाप || को० २ ॥
बेटा पोतरा गोलक नहि, नाती दुहिता न जान | को० । दादी चाची बेटी पोती, ना हम नारी मान || को० ३ ॥
गुरु चेला नहि हम काहूके, योगी भोगी नांह | को० । पांच जामें नहि हम कोइ, नहिं कोइ कुल छांह || को० ४ ॥
दरशन ज्ञानी चिद्घन नामी, शिव वासी हम जान | को० । चारित्र नवनिघ. अनुपम मूरती, ज्ञानानंद सुजान || को० ५ ॥