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ज्ञानानन्द
(२२)
राग सारंग - तीन ताल
[२५]
क्यों कर महिल बनावे पियारे || क्यों० ॥ टेक ॥ पांच भूमिका महल बनाया, चित्रित रंग रंगावे पियारे ॥ क्यों ० १ ॥
गोखें बेठो नाटिक निरखे, तरुणी रस ललचावे । एक दिन जंगल होगा डेरा, नहिं तुज संग कछु जावे पियारे ॥ क्यों० ॥ २ ॥
तीर्थंकर गणधर बल चक्रि, जंगल वास रहावे । तेहना पण मंदिर नहिं दीसे, थारी कवन चलावे पियारे ॥ क्यों ० ३ ||
हरि हर नारद परमुख चल गए, तूं क्यों काल बितावे । तिनतें नवनिधि चारित आदर, ज्ञानानंद रमावे पियारे || क्यों ० ४ ॥