________________
[2]
(६)
सोरठा
प्यारे चित्त विचार ले, तुं कहांसें आया । वेटा बेटी कवन हे, किसकी यह माया
आवनो जावनो एकलो, कुण संग रहाया ।
धर्मामृत
नीसर जावो फंदसें, इग छिनमें भाया ।
11 2.11
पंथक हो कर जालमें, कैसें लपट्यो भाया ॥ २॥
जो निधि चारित आदरे, ज्ञानानंद रमाया ॥ ३ ॥