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इसीसे उनके भजनों का नाम 'चावखा' प्रसिद्ध हो गया है । य वडे निर्भीक और निस्पृह थे । 'चेलैयाआख्यान' इनकी कृति है।
रायचन्दभाई - जन्मस्थान ववाणीआ-काठीयावाड-मोरबी के
पास । पिता का नाम स्वजीभाई । माता का नाम देववाई । छोटे भाई का नाम मनसुखलाल । जन्म समय संवत् १९२४ कार्तिक शुदि १५ रविवार । जैन संप्रदाय के होने पर भी ये महापुरुष विशाल दृष्टिवाले थे, सर्वधर्मसमभावी थे । महात्मा गांधीजी को भी इनके साथ पत्र व्यवहार करने से व इनके साक्षात् परिचय से बडा लाभ हुआ है। निर्वाण समय संवत् १९५७ चैत्र व. वि. ५ मंगलवार दोपहर के दो बजने पर । 'श्रीमदराजचन्द्र' नामक एक वडे ग्रंथ में इनका सव पत्रव्यवहार, मोक्षमाला, आत्मसिद्धिशास्त्र इत्यादि प्रकट हो गये हैं । जैनधर्म के मर्म को समझने के लिए उनका उक्त 'श्रीमद्राजचन्द्र ' अतिउपयोगी ग्रन्थ है ।
नरसिंहरावभाई - दीवेटिया कुटुम्ब के ये गुजराती विद्वान्
प्रखर भाषाशास्त्री थे। गुजरात के वर्तमान कवियों में इनका असाधारण स्थान है । प्रतिभा, गांभीर्यपूर्णसाक्षरता, पृथक्करण
और निरीक्षण का कौशल ये सव इनके प्रधान गुण हैं । 'कुसुममाला,' 'हृदयवीणा,' 'नुपूरझंकार,' 'स्मरणसंहिता' और 'गुजराती भाषा और साहित्य' इत्यादि इनकी अनेक कृतियां प्रतीत हैं । इनका अवसान गत वर्ष ही हुआ । ये बडे ईश्वरभक्त ब्राह्मोपासक थे । ईश्वर पर. इनका विश्वास असाधारण था ।