________________
अडोल
[२१७] अर्थ में देशीनाममाला में आया है। संभव है कि-'सौंदरी' खजूरी के रेसों से बनती हो उससे उसका नाम सींदरी हुआ हो।
"सिंदु रज्जू" – ( देशीनाममाला वर्ग ८, गाथा २८) "सिंदुरयंxरज्जूए" (देशीनाममाला वर्ग ८ गाथा ५४ ) "सिंदीxखजूरो"-( देशीनाममाला वर्ग ८ गाथा २९)
'सौंदरी' का पर्याय छौंदरी, छींदरुं भी गुजराती भाषा में प्रतीत है और उनकी उपपत्ति 'सौंदरी के अनुसार है।
२५१, अडोल-अकंप-निश्चळ ।
"दुलण-उत्क्षेपे"-(धातुपारायण चुरादिगग अंक १२६) दोलयति इति दोल: न दोलः अदोल:-प्रा० अडोल ।
__ हिंदी 'डोलना' और गुजराती 'डोलवू' की मूल प्रकृति उक्त 'दुल' धातु है । 'डोली' शब्द भी 'दोला' से आया है।
भजन ९५ वां २५२. अंधार-अंधेरा । अन्ध+कार-अन्धकार प्रा० अंधआर-अंधार-अंधारू ।
अन्धकार माने अन्धा करनेवाला-'अन्धकार का आवरण आने से आंख से कुछ भी नहि दोखता-वह अंधी हो जाती है इससे उसका-अंधकार का नाम 'अंधार' यथार्थ है ।
२५३. संभाळ-बचाव-रक्षा करो।