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लुस
__ [१९३] . भजन ४५ वां १५५. लुस-चोरना
सं० लूषति प्रा० लूसइ-लुसे ___ "लूष स्तेये"-(धातुपारायण भ्वादिगण अंक ५०१) "लष-चोरना"
१५६. संचुं-इकट्ठा करूं
'सं+चि' धातु उपर से 'संधु क्रियापद बना है । 'साचो' उपर का टिप्पण देखो।
भजन ४६ वां - १५७. नाऊमें-नावा में
सं० नावा-नाऊ । 'व' का 'उ' । १५८. धोर-दौडना सं० धाव' से भूतकृदंत धौत-धोत-धोड-धोर । १५९. धाउ-दौड सं० धाव-धाउ । विषय की दौड़ में दौडना । १६०. बढाऊ-बढना
सं०-वर्ध-वड्व-बड्ढाव-बड्डार-बढाउ-बटाउ । 'वहाव में 'आ' स्वार्थिक है । प्रेरणा सूचक नहि ।
__ भजन ४८ वां १६१. घाम-वाग्मी