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उलटा .
(१८३] सं० छेद प्रा० छेओ-छेहो-छेह । 'छेह का 'ह' स्वर के बदले में आया है इससे महाप्राण नहि है यह ख्यालमें रहे । देखो 'छांह' का टिप्पण | "छेओ अंतम्मि दिअरे अ- (देशी नाममाला वर्ग ३ गाथा ३८) हेमचंद्राचार्य 'अंत' अर्थमें 'छे शब्द को देश्य कहते हैं। देश्य 'छेअ' शब्द का दूसरा अर्थ 'देवर' भी है। 'अंत' अर्थवाला 'छेअ' की प्रकृति 'छेद' माटम होती है परंतु 'देवर' अर्थवाला 'छेअ' की प्रकृति अवगत नहि, कोई भाषाविद अवश्य प्रकाशित करे।
१२७ उलटा-विपर्यस्त-उलटा गुज० उलटुं ।
"उल्लुटुं मिच्छाए" (देशीनाममाला वर्ग १ गाथा ८९) उल्लेखानुसार 'उल्लुट' शब्द का अर्थ 'मिथ्या है । सं० पर्यस्त प्रा० पल्लट्ट । प्रस्तुत 'उल्लुट्ट' की प्रकृति 'पल्लट्ट' में मालूम होतो है । पल्लट-वल्लट्ट-उल्लुट्ट । आदि में 'प' का 'घ' होना औत्सर्गिक नहि है किंतु आपवादिक है। कदाच 'ल के सानिध्य से 'प' का 'व' हो गया हो।
हिंदी 'पलटना' 'बदलना' । गुज.) 'पलटवं बदल पदों का भी मूल 'पल्ली' शब्द में है।
विटाल, गु० वटाळ, वटलवू शब्द की प्रकृति भी 'पल्ला हो सकता है। वटलवू-धर्म वा जाति को छोड़कर अन्य धर्म में वा अन्य जाति में जाना।