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घरटी
[१५३] से वर्णलोप और वर्णव्यत्यय पा कर 'घरट्टिका' वा 'घरट्टी' शब्द बना हो ! ! ! निश्चित नहि । अथवा जब पीसते हैं तब 'घड घड' ध्वनि होता है। उस ध्वनि के अनुकरण द्वारा 'घरट्टी' शब्द आया हो !!! प्रचलित 'घंटी' शब्द का मूल तो 'घरट्टी' में है । 'घरट्टी' के 'रका, परवर्ती 'ट्ट' के ध्वनिप्राबल्य से '' उच्चारण हुआ और वह 'ड', 'ण' रूप में परिणत होकर 'घंटो' शब्द हुआ । 'र' 'ड' और 'ण' सब वर्ण मूर्धन्य है यह ख्याल में रहे । 'तेल पीलने की घाणा' वाचक 'घाणो' वा 'घाणी' शब्द कदाच प्रस्तुत 'घंटी' के साथ सम्बन्ध रखता होः घण्टी-घण्णीघाणी । 'घरट्टी' 'घण्टी' और 'घाणी' की वास्तविक व्युत्पत्ति पर कोई महाशय अधिक प्रकाश डाले यह इष्ट है। .
अथवा 'बंटी' शब्द के लिए एक ओर कल्पना हो सकती है:
'चलन' अर्थवाला 'घट्ट धातु, प्रथम गणमें और दशवें गण में विद्यमान है । उस धातु से 'घट्टते' अथवा 'घट्टयति' या सा घटिका' शब्द हो सकता है। 'घट्टिका' पर से 'वक्र' के 'वं प्रयोग के समान 'घंटिआ' शब्द होकर उससे 'घंटी शब्द हो सकता है और पूर्वोक्त 'पाणी' शब्द भी इसी प्रकार से आ सकता है । 'घाणी' और 'घंटी का मूल एक होने पर भी जो उच्चारण भेद हुआ है बह अर्थभेद का द्योतक हो ! ! ! और