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धर्मामृत देश्य माना हुआ 'घरट्टी' शब्द भी कदाच 'घट्टिका' में 'र' के के प्रक्षेष से बना हो !!!
४६. आटो-आटा-पीसा हुआ लोट ।
अपने अनेकार्थसंग्रह कोश में 'अट्ट' शब्द के अर्थ को स्पष्ट करते हुए आचार्य हेमचन्द्र लिखते हैं कि "अट्टो हट्ट
अट्टालकयो शे। चतुष्क-भक्तयोः"- (द्वितीय कांड श्लो० .७८-७९) उक्त श्लोक के टीकाकार महेन्द्रसूरि 'अट्ट' के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कहते हैं कि-भक्तं गोधूमादिचूर्णम्"(टीका पृ० १६ ) अर्थात् अट्ट माने गेहूं विगेरे का चूर्ण-लोटआटा । प्रस्तुत उल्लेख को देखने से मालूम होता है कि आटा अर्थवाला 'अट्ट' शब्द संस्कृत कोशो में है। भाषा में प्रचलित 'आटा' शब्द उक्त 'अट्ट' का रूपान्तर है। 'अट्ट' शब्द में मूल धातु 'अद्' होना चाहिए क्योंकि 'आटा खाद्य पदार्थ है
और 'अद्' धातु का अर्थ भी 'खाना' है । तो भी वैयाकरण हेमचन्द्रसूरि ने 'अट्ट' शब्द का मूल हिंसा अर्थवाला 'अट्ट' धातु बताया है । 'आटा' का विशेष संबन्ध खाने के साथ है इसलिए उसके मूल में 'अद्' धातु की कल्पना ठीक लगती है परन्तु 'आटा' बनाने में हिंसा भी है इसलिए 'अट्ट' के मूल में हिंसार्थ वाला 'अ' धातु की भी कल्पना अनुचित नहीं । गुजराती भाषा में तो 'आटा' शब्द का उपयोग त्रास को भी बताता है: