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धर्मामृत लक्षी' के भाव को बतानेके लिए जैन आगमोमें और अन्य साहित्य में भी प्रसिद्ध है अर्थात् जो पुरुष, आध्यात्मिक दृष्टिसे संयमी-त्यागी वा आत्मलक्षी हो वह 'आत्मधूत' कहा जाता है। 'धूत' के उक्त अर्थ को दृढ करने के लिए आचाराङ्ग सूत्र का .. 'धूत' नामक अध्ययन पर्याप्त है। समासमें पूर्व निपातका नियम प्राकृत में नियत नहि इससे बहुव्रीहि समास में भी 'आत्मधूत' होने को बाधा नहि।।
४४ ताता-तप्त-उष्ण-गरम
सं० तप्त-प्रा० तत्त-ताता । तातुं. (गु०) 'ताती तरवार' प्रयोगमें 'तातो' शब्द तरवार की गरमी-तीक्ष्णता-को सूचित करता है।
४५ घरटी-आटा पीसने की घंटी
'घरट्टी' शब्द देश्य प्रतीत होता है। देशी नाममाला में तीसरे वर्ग के श्लोक दसवेंकी टीका में आचार्य हेमचंद्र 'चिंचणी' शब्द के अर्थ को स्पष्ट करते हुए 'घरट्टी' और 'घरट्टिका' ऐसे दो शब्दों का निर्देश करते हैं: 'घरट्टी' की व्युत्पत्ति अकलित है। वह शब्द देश्य होनेसे अधिक प्राचीन होने की संभावना अनुचित नहि । 'जल खींचने का यंत्र' इस अर्थका बोधक 'अरघट्टक' शब्द के साथ प्रस्तुत 'घरट्टी' का साम्य हो ऐसा प्रतीत होता. है। 'अरघट्टक'का स्त्रीलिंगी रूप 'अरघटिका' होता है, उस पर