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परंतु 'स्था' के दूसरे आदेश ' कुक्कुर' के संबंध में ऐसा कैसे कहा जाय ? खुद हेमचंद्र ने बताया है कि 'आदेश' और 'स्थानी' में साम्य की अपेक्षा आवश्यक है। सब व्याकरणों का वचन है कि " आदेश : स्थानीव " । 'इ' के स्थान में 'य' होता है वहां 'इ' स्थानी है और 'य' आदेश है । 'इ' और 'य' यह दोनों परस्पर समान : स्थान के होने से उन दोनों में पर्याप्त समानता है इसी से उसका परस्पर आदेश–स्थानिका संबंध भी समुचित है परंतु इधर 'स्था' और 'कुक्कुर' में ऐसा कोई भी मेल नहि बैठता है और वाग्व्यापार के अनुसार 'स्था' का 'कुक्कुर' हो भी कैसे ? जब 'स्था' और ' कुक्कुर' परस्पर सर्वथा विरुद्ध से है तब 'स्था' के स्थान में 'कुक्कुर' का कहना कैसे संगत होगा ? यद्यपि 'स्था' और ' कुक्कुर' में अक्षरसाम्य तो जरा सा भी नहि दीखता किंतु अर्थसाम्य तो है परंतु अर्थसाम्य मात्र से कोई किसी का आदेश व स्थानी नहि बन सकता, वाग्व्यापार की प्रक्रिया में अर्थात् शब्द के क्रमिक परिवर्तन की प्रक्रिया में अर्थसाम्य का उपयोग नहि के बराबर है इससे हेमचंद्र के उक्त विधान का ' 'कुक्कुर' और 'स्था' धातु परस्पर समानार्थक है' इतना ही अर्थ जानना उचित है नहि कि ' उन दोनों को बीच में वाख्यापार की दृष्टि से कुछ भी
उठ