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रैदास
राग कौशिया-तीन ताल प्रभुजी ! तुम चंदन, हम पानी । जाकी अंग अंग बास समानी ॥
प्रभुजी, तुम घन वन हम मोरा । जैसे चितवत चंद चकोरा ॥
प्रभुजी, तुम दीपक हम बाती । जाकी जोति बरै दिन राती ॥
प्रभुजी, तुम मोती हम धागा । जैसे सोनहिं मिलत सुहागा ॥
प्रभुजी, तुम स्वामी हम दासा । ऐसी भक्ति करै रैदासा ॥