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कवीर
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राग हमीर-तीन ताल गुरु बिन कौन बतावे बाट ? बडा विकट यमघाट ॥ध्रु०॥ भ्रांति की पहाडी नदिया बिचमों अहंकार की लाट ॥ १ ॥ काम क्रोध दो पर्वत ठाढे लोभ चोर संघात ॥ २ ॥ मदमत्सर का मेह बरसत माया पवन वहे दाट ॥ ३ ॥
कहत कबीर सुनो भई साधो क्यों तरना यह घाट ? ॥ ४ ॥