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________________ सत्रोत्सवनी उजवणी पछीनुं सरवैयुं अमाग माटे उत्साह जगाडनारं यन्यु ई. सत्रोत्सवनी उजवणीए उपाध्यायजी परत्वे जैन-जनेतर वर्गर्नु ठीक ठीक ध्यान दोर्य छ, भने एना टीक ठीक लामो पण सांता जाय छे. वळी, एमनी कृतिओ शोधी कादवानी भावनाने पण वेग मन्यो छे; परिणामे सत्रोत्सव पछीज नवीन पूर्णापूर्ण १३ कृतिओ लम्य थई छ, अने हजु अमदावादना भंडारमाथी वधु कृतिओ मळवानी संभावना छे. आ तेर कृतिओ अने सत्रोत्सव पहेलांनी नव कृतिओ मळी कुल २२ प्रतिओ मुद्रण मागी रही छे. तेमाथी अर्धा कृतिओनुं संशोधन पूर्ण धवानी अणी उपर छे. आ अन्धोनुं प्रकाशन वडोदरानी यशोभारती प्रकाशन समिति तरफथी थनार छे. -ते उपरांत प्रशस्तमहिम उपाध्यायजी महागजना तमाम मन्थोना आदि अने भन्तना मागो तैयार थई गया छे. -सुभाषितोनो संग्रह, सन्मतितर्क अंगेनी नोयो भने तारवण, तथा अन्य पृथक्करण वगैरे तैयार थनार छे. -तेओश्रीन ब्यवस्थित प्रमाणभून 'जीवन-कथन ' चरित्र पण तैयार करवानु छे. -भावि योजनाना संदर्भमां गुर्जरसाहित्यसंमह भाग १-२ जे मोबीनी मूलभाषामा सपायेट नहीं होवाथी तेनी तेओश्रीनी भाषामांज पुनरावृत्ति करावी. -तेमज शास्त्रवार्तासमुघय टीका आदिनी पुनरावृत्तिभो भने साधे साधे अयुपयोगी गम्भाना अनुवादो पण प्रगट कराववा. आटलं कार्य पार पडशे त्यारे उपाध्यायजी भगवानना श्रीसंघ उपग्ना अमाप भने अनिर्वननीय ऋणनो पूर्वार्ध पूरो कर्यो गणाशे. उपाध्यायनीनुं जीवन-कवन लखाई रो छे अही एक आनन्दप्रद समाचार जणाधु के पणा वखती हैमसमाधानी जम यमःममीन खवानी मारी भावना हती अनेभावना आज पण कभी ज . दरमियान जागीता विज्ञान प्रा. श्रीयुत हीरालाल र. कापडीआन मळयान भयु. लेमनी पोतानी पासे उपाण्यायोगेनी करलीफ गों एवं तेमणे जणा-यु. गर्न थयु के उपाध्याय की अंगे दवयानी सामग्री पटली विशाल मयिन के मने अंगे एक नहीं पण अनेक समीसामी नसाय तोरण पाई जलाटुं गया रामायनी मंगे जेमणे ने यांधु-विनायु होय तेगनी शाह, निनन अने फलानो नाम नई यो, मटमा हामी घरमाळा धी. कापडीगना गामा पगदी ने गुराज संगकार भने cam समीक्षक पण एटले आपणने एक सारी मेट सपंग फरसी पी भाशा मनोर।
SR No.010845
Book TitleYashovijay Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay
PublisherYashobharti Jain Prakashan Samiti
Publication Year1957
Total Pages505
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size25 MB
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