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आवना कंटला अनुचित प्रवाही, विवानो अन हचकतो पण जीवा म. पण में जागी बोईनव तेनु नान्तिवन करना अस्तित्व मन्यु, ते पटला न मां के व्यवस्थित जीवनना अमात्र, नाबान्तर नहापुटपोना नीदनने पानी की केवी हकीकतो प्रदक्षिणा काठी होय छे, तन वर्तमान प्रजानं याच आवे. . . जोडी, जे देखोनी जे हनी बहुधा, तेज नहीं. कटलाक लन्द दुवाच्य होवाना नारंग, लन दृष्टिदोष के ग्रेसदोपन काणे, जेई निशे रही गई देखाय ते बदल लेखको अंनं वाचनी आमा !
पू. उपाध्यायत्रीय केटली कृतिओ रची हनी ? नो प्रेम संन्यानिर्णय कन्या- कोई साधन नथी. पन्नु तओयानी कृतिकोनां सवा दीबा फुटकर हन्तपत्रन मळेली नव मुत्र हाल ननी निन्न सड्या नछी कगं शत्रीणपाचन संस्कृतमापानी ऋतिओ
प्राकृत-संन्कृत भाषाना उपलब्ध अनं अनुपलव्य न्योनी कुछ सन्न्या ८३ नी है; पना उपलब्ध ६१ अने अनुपलब्ध २२ है. १-उपन्य ६१ मां १६ नुदिन अने १५ अनुदिन है. २-उपलच ६. मां, १६ मन्यो स्वकृत मूल अंनं लावाळा है. जमांना ३७ मुनित
मन . अनुदिन है. ३- अंग १५ अन्य आचार्यकृत ग्रन्थी उपानी टीकवाला है. प्रमाथी ९. मुद्रित हुने ६ अनुदिन है.
गूजरानी, मिश्र मापानी कृतिओ उपलब-अनुपलब्ध
गदर-
निमानी हत, उपन्य अन अनुपटव्य, नानी-न्होटी भईन ५४ कृतिओ , दांधी ५३ उपलब्ध हुने एक अनुपलच . ५३, मांयी ४५, दिन कने ८, अमुद्रित हैं,
आ उपगंन अन्य ग्रन्थेनें संशोधन ऊन संपादनचर्य पण तथए , है, त अन्तमा आंग्ली ग्रन्थमूचीनां दधिलं है.
उपर नं. २-३ मा जपावली १५ मंकृत कृनियो, क ८ गृजरानी कृतिओमांधी कटलंक कृतिअंन संशोधनथ्थु छ ने कटवानुभई हुई छ. आर्य गंमर, गहन अंनं विशाल है,आर मावनोनी अगर है. एन टनांपदिशानां दुगना है दो मं 'इनः पन्था नः पन्या' ऋतां करता वांगाना भने श्रीमानांना सहकार अने शुभच्छाया अंने शासनंदवनी कृपायी इष्ट उद्देशनी मंत्रिंट पहाचीj.