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ન્યાયાચાર્ય શ્રીયશોવિજયજી એમની ગુર્જર કૃતિઓની સાલવારી [ये : श्री नवनी ]
ઉપાધ્યાય શીયાદિલ જીવનનું માપ, ગત ચાર ઈમોકલાક દઈચંદ દેવાઈ અને દિલ થીગ્રુહ ચા પુત્વવેતા જિનવિજ્યજી જેવા પ્રતિદિન લેબર બાદ કો સુ કે દેહિ વ અને પિતાને ગુમાર પર
है. देवांगन नेत मानीत भने गाउन એની સૂ િજારદરિચિ કહ્યાં પુરવાર કફ અરહ્યું છે. હવે ચા ધક્કા એક ગુજરાતી યુ ની કરારના રિપથ દુધ ઉપર દ. તે એટલા માટે ક્રેચથી એના જીવનના છેલ્લાક ચુકેલ સૂપ ટી શર્ટ એ એમ છી. આ વિશેની ચર્ચા दम स्थानाने का
" दिन मुहवी, अगदी शनामें हुए हैं। इनका इन्हा जीना नं. कुछ प्रकाशित हुआ है वह पति नहीं है। इ विशिष्ट विहानक य इन्क मनः यत्रा मांग ऋगक मात्र छत्रांकन अन्यत्र है । एक लिय मुख्य और वाय अहिए, जो अभी तो हम मान्य नहीं है पर अनी भी इस अनी या अन्न हुन लक्ष्य गहना है । अन्तु, अनी ना बाक पविजक परिचा इ शिलेदा चाहिए कि उनकी भी सन्न्त्रय यांक उनकाला, बैन देनर मौलिक ग्रन्थोत्रा गहरा दोहन बाला, प्रत्यक दिश्यत्री तहतक पहुँच उस पर अमनाक अपना स्पष्ट मन्तव्य प्रगिन अग्न्याशीय निकाय बिक अयि वन ने माल ऋल विचको न विनास हुंचाती वंश अनवर और संप्रदाय डीहायक वन पान में कुछ नपढाउस मनियतासंकलिन्दनाथ दल नन्दा, दिगंबर माह में ही नहीं अलि जैन मला भी उनका ना अंई विगष्ट विद्वान अमानक हमार थान नई, बाया। पाक मात्र, ज्युक्ति नहीं है । हाल उपाध्यापक और दुसर दिनांक ग्रन्यत्र अमीर को ज्यनाट कल शियाई उसंक वार नल-कार का कल्य ललं है। निःपन्दट वांव और देवर सामने अनेक बड्या विकून झ गये है, कि नया बोट सटहायमें भी प्रचंड विद्वानी की नहीं न्ही है;न्त्र वैदिक विद्वान ना मढ़ा दी उच्च स्थान लेने गया है। विधा भन्दा उन्त्री होनी