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________________ चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंकोद्धारः ३३ ते.पूर्वधरजाणवा ते पूर्वोक्तचिह्नयुक्त श्रीनमास्वातिवाचक कृत श्रावकप्राप्ति, प्रशमरति, तत्त्वार्थादिक ५०० प्र. करणग्रंथ, तथापूर्वगतधारि संघदासवाचकळंत वसुदेव हिंम पंचकल्पप्रमुख, श्रीजिननद्रगणिक्षमाश्रमणकृत जीतकल्प क्षेत्रसमास संग्रहणि विशेषणवती महानाष्य विशेषावश्यकादि. वली पूर्वगतयोनिप्रानृतादि. दर्शनशास्त्र द्रव्यानुयोगरूप संमत्यादि श्रीसिद्धसेनदिवाकरमल्लवादिप्रमुखकत. इत्यादि यावत् श्रीदेवर्दिछमाश्रमणनां रचलां श्रीनंदिप्रमुखसूत्र चूादि, जे जे पूर्वधरोनां करेला प्रकरणग्रंथादिक सर्व सम्यग्दृष्टियोने पं. चांगीमुजब मानवा योग्य. तथा वाचकवंशमां थएला आर्यनागहस्ति नंदिलपण प्रमुखना शिष्योना करेला संस्कृतशब्द व्याकरण प्रारुतशब्द व्याकरण कर्मप्रकृति शतकादि कर्मग्रंथ. अने वली पूर्वधरपंचांगीथनुयायि मूलपंचांगीना कर्त्ता पूर्वश्रुतव्यवच्छेदकालने अनंतर विक्रम संवत्सर ५८५ वर्षे देवंगत थएला कलिकालसर्वज्ञ श्रीहरिनद्राचार्यना करेला धर्मसंहग्रणि अनेकांतजय पताका पंचवस्तुक उपदेशपद लगशुद्धि लोकतत्त्वनिर्णय योगबिंदु धर्मबिंदु पंचाशक पोमशक अष्टक इत्यादिक १४०० प्रकरणमाहेला जे वर्तमानकाले होय तेपण स. म्यग्दृष्टियोने यथार्थपणे प्रमाणकरवा. केमके वर्तमान
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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