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________________ ६ए४ परिजेदः १६ वगुरु धर्मने लखीने अंगीकार करवानो नद्यम करवो एज शुझमार्ग गवेषक प्राणीनतेमज सम्यक्त्वानिलाषी प्राणीयोनुं मुख्य लक्षण बे, पण चित्तमां दंन राखी; पोतानो खोटो पद ते खरो जाणी, असत्यासत्यनो वि चार न करवो, अथवा तो विचार करी सत्यनी मलखाण थवाथी पोतानो ग्रहण करेलो पद असत्य जाण्या बतां तेने बोडवो नही,अने सत्यपदने ग्रहण करवो नही, ए लक्षण समकित प्राप्ति करवानी नत्कंठावाला जीवो नुं नथी: माटे तेवी रीते न करतां दरेक नव्यप्राणीयोए सत्य मार्ग धारण करवा प्रापेदित थर्बु ॥ आग्रंथ अमे फकत वादविवाद अने विरोध घटाडवाने अर्थे तथाशुभ बुध्थिी अपदपाती सम्यक्दृष्टी पंमित पुरुषोने सत्या. सत्य निर्णय माटे करयो बे, पण हठ उराग्रह इर्ष्या द्वेष बद्धि वधारवा करचो नथी, तेमज अमारे कांपकपात थी कोइ नपर द्वेषबुद्धि पण नथी माटे वांचनार दरेक जव्य प्राणीए प्रा ग्रंथ निरपेक्षपणे लक्षमा ले सउपयोग करवोज श्रेय ॥
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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