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________________ चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंको क्षारः ए३ तेम जिनवाणीरूप रस ते कदाग्रही माणसमा प्रवेश करे नही तेथी तेना चित्तरूप वृदमां शुभ बोधरूप पू. वधरादि आचरणा ग्रहण करवानो अंकुर प्रगटे नहीं, तो तेमां सिहांतबोध ग्रंथनो शो वांक? तथा जे पंचमहा व्रत पाल्यां, उग्रतप कीधां, नद्यमे करी बेतालीस दोष रहित आहार सीधो, तेम बतां पण निन्हवादिक मुक्ति रूप फलने न पाम्या ते अपराध सर्व कदाग्रहनोज बे, तेथी असत्रूप कदाग्रहने वेगलो करीने पूर्वघर पूर्वाचार्योना उक्तग्रंथोना सारने स्वहृदयमां अंकित करीने तेमज आयंतपर्यंत आ ग्रंथने वाचन साथे एकाग्रचित्ते सदमा धारण करीने जे कोई शुभ मार्ग गवेषक नव्यप्राणी निष्पक्षपाति सम्यकदृष्टिथी ब्रांति रहित पणे विचार करशे तो पूजाप्रतिष्टादि कारणे आचरण करेलो अर्वाचीन चोथी थुझ्नो मत तथा पूर्वधर पूर्वाचार्योनो प्राचरण करेलो त्रण थुश्नो मत सत्य अने चतुर्थस्तुति निर्णयोक्त जिन बाझाथी विपरीत मत असत्य ने एम निर्णय थशे, माटे अहो नव्यजीवो संसारना दुःखना दयना नपायरूप जे रूढुं तत्व, जेनो कोई वार नाशज थवानो नथी, अने परमानंदनो ज्यां ऐक्यनावडे, एवा मोपदने साधन करवानी इहा होय तो अशुःक्ष देवगुरु धर्मनु सेवन त्यागन करीने शुक्ष्दे
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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