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________________ ६०७ परिवेदः १४ पद जेटला नसास ए वचनथी पुरो थाय त्यार पडी न. मस्कार करी पारीने संपूर्ण लोगस्स कहे एम १६ कहे .एम कहेवाथी को प्रतिक्रमण कानस्सग्ग मांनि ले ते माटे कहे बे; ए व्याख्यान करवाथी ए कायोत्सर्गनो देवसिक पडिक्कमणादिकमां अनाव में केमके ते देवसी प्रमुखमां तो दिवसादिकमां अतिचार लाग्या तेमनुं विशोधकपणुं बे, तेथी तेमनुं मांन चोगणा नश्वासादिकन तेथी, तथा वली पडिक्कमणाना कामस्सग्ग नियत डे तेथी, अने इरियावहि प्रमुखनो जे कानस्सग्ग ते वली अनियत ने तेथी; हवे नियत अनियतनो तेमज वली आर्ष एटले बागम देखाडे जे के देवसीना कानस्सग्गनु प्रमाण १०० श्वासोश्वासन, रात्रिनुं प्रमाण ५० श्वासोश्वासनं, परकीमांत्रणसे ३०० श्वासोश्वास, चोमासमिां पांचसे ५००नुश्वास,अने एकहजारयात संवहरी पडिक्कमणामांर 00७ उसास.हवे लोगस्सनुं प्रमाण कहे बे, राइ देवसीमां बे अने च्यार लोगस्स, परकीमा १५ लोगस्स, चोमासीमां २० लोगस्स, अने संवबरी पडिकमणामां चालीस लोगस्स वली एक नवकार होय. हवे निश्चे निरंतर जे कानस्सग्गनुं प्रमाण ते कहे देवसी १ राइ २ परकी ३ चनमासी । अने संवबरी ५ एट-' लामां तो जेटला कह्या तेटलाज श्वासोश्वासना कान
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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