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________________ चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंकोद्धारः पण आत्मारामजि नवो पंथ चलाव्यो एवं मृषावचन लखेडे तेम मो इहां आत्मारामजि पक्किमलाना थाद्यंतमां व्यारथुइए चैत्यवंदन करवुं लखेंबे ते ठेकाणे, प्रतिक्रमणमां च्यारथुइए चैत्यवंदन करवं पंचांगीमां नथी एवं लखीएं बीएं ते मृषावचन नथी. केमके ग्रात्मारामजी खेडे एटलुंज नही पण लोकोने मोढें एहवुं कहे बे के, राजेंद्रसूरीज अरु धनविजयजि प्रतिक्रमणमां चैत्यवंदन नही मानते हैं तथा संवत् १९४० नी सालमा न्युसपेपरद्वारे खात्मारामजीने खनें मारे चर्चा थइ त्यारे मोए स्तुतिनिर्णय विनाकरनामे ग्रंथ बनाव्यो हतो ते ग्रंथमां प्रतिक्रमणना यादिमां सामान्य प्रकारे चैत्यवंदना तथा त्रण स्तुतिए करि, नन्नप्रकारे देवगृहमां चैत्यवंदना ने पूजादिविशिष्ट कारणे चतुर्थथुइए देववंदना सिद्धांत ग्रंथोनी साक्षिसहित करवी लखीने. ते ग्रंथ श्री विवेकसागरजिए श्री धरादधी लखाविने मंगाव्यो ते ग्रंथ विवेकसागरजि पासेथी मंगावीने आत्मारामजिए श्राद्यंत सुधी जोयावतां पण, प्रतिक्रमणकी यादिमें तीन थुइ कते रु तीन थुइकी थापना करता हे ए सी श्रावको मुखसें सुनिहे एवं जाणतां बतां लख्युं तेथी अथवा संवत् १९४० नी सालमां श्रात्मारामजी ए अमदावाद समाचार बापामां व्याख्यानके व्यवसरे
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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