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________________ चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंकोद्धारः १७१ धर्मसंग्रहवृत्ति ४ ठाणांगसूत्रवृत्ति ५ पन्नवणासूत्रवृत्ति ६ लोकप्रकाश ७ आचारदिनकर आवश्यकवहात्ति ए शत्रुजयमाहात्म्य १० जरताष्टपाटचरित्र ११ वीरचरित्र १२ मुनिसुव्रतचरित्र १३ प्रनावकचरित्र १४ श्री पालचरित्र १५ पांवचरित्र १६ शांतिचरित्र १७ श@जयकल्पवृत्ति १८ सप्ततिस्थानकग्रंथवृत्ति १ ए जंबुदिप पन्नत्तिसूत्रवृत्ति २० नुपदेशमालावृत्ति २१ इत्यादिक अनेक शास्त्रोमें श्रीशत्रुजयसंबंधि सोरठदेशने आर्य खेत्र कह्योने पण कालअपेक्षाकरीने प्राचीन अर्वाचीन कोइ आचार्यै खेत्र अपेक्षाए अनार्यकर्वा नथी केमके खेत्रप्रपेदाए आर्यखेत्रनो अनार्य थाय नहीं ने अनाथनो आर्य थाय नही तेम बतां काल अपेदाए आर्य खेत्रने खेत्र अपेक्षाए अनार्य कथन करतां, ते खेत्रमा रहेला तीर्थ पण अनार्य थाय केमके सिखेत्रादिक तीर्थ पण खेत्र केवाय माटे आर्यखेत्रने खेत्र अपेक्षाएं अनार्य केवावालो प्रांणी ते खेत्रमा रहेला शत्रुजयप्रमुखतीर्थनो विरोधि थाय ॥"जैनशास्त्रमें कोडीशब्द क्रोमसंख्यानो वाचक ने कोइक प्राचार्य कोडीशब्दने एक क्रोमवाचक नथी मानता किंतु संझांतर मांने ते मतांतर,वाक्य जे जे स्थले जोइएं, ते तेस्थले आचार्योंए वापरयो बे पण जेम आत्मारामजी यानंदविजयजी च.
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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