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________________ प्रस्तावना. नथी, तेमने चरचा करवानी मरजी होय तो प्रा तरफ विहार करावज्यो,तेमना लखाव्याथी लखशो तेनोउत्तर अमे फरीथी लखवाना नथी, इत्यादि परस्परना कागल देखवाथी जो राधनपुरना श्रावक तथा आत्मारामजीने परस्पर चरचा करी निर्णय करवाना नाव नही, तेथी प. रस्पर लखावट करी नही. एम अपदपाती विचारवंत पुरुषोना हृदयमां तश्याविना रहेशे नही, तेमज अमारा श्रावक लोकोना चित्तमां पण खरेखलं तश्यं, के आ चतुर्थस्तुतिनिर्णय प्रस्तावनामां जेटलुं लरव्यु , ते गधेमाना सिंगमा जेवं सर्व सत्य नासन थाय , तोपण नजीवोनो भ्रम टालवाने महाराज श्री राजेंऽसरिजीने पुन्यु के स्वामीनाथ, चतुर्थस्तुतिनिर्णय प्रस्तावनामां आत्मारामजी बापना आदिलखेडे के *इनकों जैनमतके शास्त्रानुसार साधु मानना यह बात सिझ नही होतीहे* ते केम? त्यारे महाराज साहेबजीए का के ए वातन समाधान तथा आत्मारामजी कृत अयुक्तनिर्णय ग्रंथनु खंमन श्रवण करवानीचा होय तो अमारी पासे नपसंपद ग्राहक मुनि धनविजयने विनंती करो. त्यारे अमो सर्व साधर्मी श्रावक श्री अमदावाद चोमासु रहेला मुनि श्री धनविजयजीनी पासे ज वंदना नमस्कार करी पुब्युं के स्वा
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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