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________________ १० प्रस्तावना. रसन जोगे आपना तरफ पधारखं थाशे ॥ लखत नीचे मुजब करवानी विगत || श्री जिनायनमः ॥ करार एक कस्यो पिस्तालीस यागमनी जे पूर्वाचार्योंनी करेली पंचांगी तेमां जे साधुनी तथा श्रावकनी नित्य करणी उत्सर्ग मार्गमां करवी ते सर्वे पंचांगी मुजब करवी. एमां कोई गनी ममत्व राखवी नही अने जे पंचांगीमां समाचारी कही ते परमाणे राजेंड्सूरि तथा आत्मारामजी तथा समस्त राधनपुरनो संघ चाले ने ते समाचारी पा लनारनेज मानवो एवी रीते राधनपुरनो संघ तथा बे साधु लख्यो एमां जे बदले तेने श्री तीर्थंकरनी प्रांण जांगवानो दोष लागे, ए लखत सर्वे राजी खुसीथी लख्यो बे ॥ एवी रीतें लखत करी तेना नीचे सर्वे संघनी सहियो कराववी तथा श्रात्मारामजीनी पण सही कराववी, ते लखत करावी ही मोकसवं, एटले राजेंड्सूरि पण सही करशे ए प्रभाणे त्रण तथा व्यार थुइ बावत तथा हरेक समाचारी बाबत जे पंचांगीमां नीकलशे ते सर्वने कबूल बे, ए रीते लखत करी मोकलशो, तो राजेंड्सूरिजी जरूर खापने त्यां पधारशे. ए श्री तेरवाडाना संघनो लेख सहित पत्र वांचीने श्री राधनपुरना संघे पाठो असमंजस रीते जुवाब वालीने लख्युं के एमां कांइ लखवा लखाववानी जरूर
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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