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परिच्छेदः ६
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रनि वृद्धि थवानो जय न रह्यो एवात सिद्ध थाय बे तो हवे सऊनलोकोने विचार राखवो जोइए के जालीने एकप्रकर कानो मात्र हेर फेर करवाधी अनंत संसारवृद्धिनुं कारण होय तो ग्रंथमां पोतानि मनकल्पनाए नवो पाठ बनावीने पूर्व पुरु पोना करेला ग्रंथोंमां प्रक्षेप करीने नवो पाठ लखवो ते काम करवाथी जे पापलागे तेथी अधिक पाप बीजा किया काम करवाथी लागतुं हशे ए काम करवाने कोइ पण नवनीरु पुरुष पोतानी सम्मतितो नज दे परंतु खरा अंतःकरणथी पश्चात्ताप - करीने आत्मारामजी श्रानंदविजयजीने एहवा sष्ट कामथी दूर करवाने अर्थे अवश्य सत्य - नपदेश करवाने केम तत्पर नहि होय अपितु तत्पर होयज कैमके ग्रंथोमां पोतानी मुतलबना नवा पाव अन्यकृत ग्रंथमां क्षेप करवा एवात कां सहेज नथी ए करवाथी ते जीव जिनवचन चापक उत्सूत्रदोषथी अनंतसंसारी थायडे तो चंद्र ने दक्षाणावर्त्त शंखथी उज्वल जे सर्वदर्शनमें शिरोमणीनूत श्री जैनधर्म चिंतामणिरल पांमीने पोताना खोटा प्रायहने आधीन थई तेने