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________________ चतुर्थस्तुतिनिर्णयशंकोद्धारः १४५ थुएं देववंदन कझुंडे तथा जिनगृहमां द्रव्यपूजा करी जघन्यादि त्रण नेदे चैत्यवंदना कही तेमां कल्पनाष्य व्यवहारनाष्य गाथा आश्रित त्रण थुएं तथा प्रकारांतरथी च्यार थुएं देववंदना कही पण एकांते च्यार थुएंज कही नथी ने संघाचारनाष्यनि सम्मतिथी नवप्रकारनि चैत्यवंदनानो पाठ प्रा धर्मसंग्रहना जीर्णपुस्तकमां लखावट बेज नही पण आत्मारामजी थानंदविजयजी स्वकपोलकल्पित च्यार थुएं नवप्रकारतुं चैत्यवंदन थापवाने पोताना नवा लखावेला पुस्तकोमा “संघाचारवृत्तौ चैतगाथा व्याख्या ने वृहद्भाष्य संमत्या नवधा चैत्यवंदना व्याख्याता" इत्यादिकथी यावत् “चेश्यपरिवाडिमाइसु" इहां सूधी नवप्रकारना जंत्र सहित नवरूपिपिसाचना माचामां पमवाने नवभ्रमणनो नय अवगुणीने पत्रएए नीपृष्ट बीजी नली आठमीथी पत्र १00 नीपृष्टर नली त्रिजी सूधी पोतानी परतमा नवो पाठ प्रदेप करयो तेथी एम जणाय के यात्मारामजी आनंदविजयजीने अनिनिवेश मिथ्यात्वना उदयथी उत्सूत्र प्ररूपण करवानोअने संसा - -
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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