SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 15
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १० प्रस्तावना. इहांना संघने तथा आत्मारामजी अने गोडीदासजी ने चरचा करवा कराववानी होत तो अमने विनंती करत तथा समाचार कहेत, पण आज सुधि विनंती पण कोइए करी नहीं अने त्यांथी समाचार पण आव्या नही, अने मासकल्प पूरो थयो त्यारे अमो राधनपुरथी विहार करीने श्रीतेरवाडे गया, त्यां सांजल्युं के आत्मारामजी श्री संखेश्वरजी प्राव्या . एवामां तो श्री राधनपुरना संघनो कागल श्रीतेरवाडाना संघना नपर आव्यो. ते कागल अमारी रुबरु वांचीने श्री तेरवाडाना संघे श्रीराधनपुरना संघ उपर पाबो कागल लरव्यो, ते परस्परना कागलोनी नक्कल तथा राधनपुरना संघना मून कागल अमारी पासे बे. ते जोड्ने सत्य असत्यनो निर्णय तमे श्रावक लोक तमारे हाथे करील्यो. त्यारे ते परस्परना कागल अमोए मारवाड मालवाना श्रावकोए वाचतां निरधार करचो के आत्मारामजी तो प्रस्तावना पत्र ७ तथा मामां *नुस पत्रका उत्तर प्रत्युत्तर असमंजस रीत से राधनपुर नगरमें नही आवनेकी सूचना करनेवाला नेजदीया एम लखे, पण श्री राधनपुरना संघना पत्र तथा श्री तेरवाडाना संघना पत्र श्री राधनपुर गया तेनी नक्कल जोतां तथा तेन्ना उत्तर प्रत्युत्तर देखतां तो राधनपुरना संघनो तथा प्रात्मारामजीनो चरचा
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy