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________________ प्रस्तावना. बंध करेले, ते आपनी पासे आवे, अने तेना शुनकर्मोना उदयथी आपनी पासे धर्मचरचा करी अज्ञातपणानो दोष टाली कर्मबंध न करे तो ठीक, त्यरि अमे कह्यु के सर्व जीव पोत पोताना कर्मने वशे जेवी क्रिया उदय यावे तेवी क्रिया करे, तेना नपर आपणे मध्यस्थनावे वर्तवू; पण तेना उपर रागद्वेष बुध्येि तेना अवगुण प्रकाशवा नही, अने अमारी पासे अावशे तो ते जीवने कर्मबंध न थाय तेवो उपदेश करीशं; एवामां तो च्यार पांच दिवस वीत्या पली सांजल्यु के गोडीदासजी आपनी पासेतोपाव्या नही,पण गाम श्रीमामलमां अात्मारामजी आव्या ने तेमने अने आपने परस्पर चरचा कराववाने बोलाववा गया ले. त्यारे अमने जेणे वार्ता करी ते श्रावकोने कह्यं के गोडीदासजी अात्मारामजीने वांदवा गया हशे, पण चरचा करवा कराववाना नावथी गया समृजाता नथी. जो अमाराथी चरवा करवा कराववानो नाव होत तो अमने चेतावीने जात, अने जो ए जावधीज गया हशे तो मांमल गाम निकटज दे, तेथी अात्मारामजी पांच सात दिवसमां प्रावशे. त्यारे जे हशे ते नाव मालम पडि जशे. एम विचारीने अमो त्यां मा सकल्प रह्या, तो पण आत्मारामजी तथा गोडीदास विगेरे एक्के आव्या नही. त्यारे अमोए विचास्यं के जो
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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