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________________ १०६ परिच्छेदः ५ पदपाती अइलोकोना कहेवाथी पोताना मुखमांधी वमीने पानु नक्षण करवाने वली पूर्वधर बहुश्रुत शास्त्रकारोंना लेख जुग ठराववाने स्वकपोल कल्पित कुतर्क कुयुक्तिकरी पोतानी महना वधारवाने चतुर्थस्तुति निर्णय ग्रंथ बनाव्यो बे. पण परमार्थे चतुर्थस्तुति कुयुक्ति निर्णय सिह थायजे. केमके, जैनमतमां तथा जैनमतना शास्त्रोमां पूर्वधरादि अप्रमत्तप्रमाण पुरुपाना बनावेला आगमने अनुसारे बीजाग्रंथ प्रकरणादि प्रमाणकरवां कह्यांडे. तथा तेज पूर्वधरादिकनां करेला सूत्रमा कहेला विधिना विधानेकरीने, मोदानिलापि पुरुषोंने लौकिक कृत्यादि फलनी अपेदा रहित जिनपूजादि कर्त्तव्यपण सूत्रोक्त विधियेज करवां कह्यांडे श्रीदर्शनशुद्धिप्रकरण सूत्रवृत्तिमां जिनशासनमां दिवाकरतुल्य प्राचार्य श्री हरिनद्रसूरिजी श्रीदेवनद्रसूरिजी तथा श्रीचंद्रप्रनसूरि तथा विमतगणीप्रमुख कांजे. तेपात ॥ सुतनणिएण विहिणा गिहिणा निवाण मिन्चमाणेण लोगुत्तमाण पूया निचं चिय होइ कायवा॥ सूत्रमप्रमत्तप्रमाणप्रधानपुरुषप्रणीत आगम उच्यते॥ ॥ यत नक्तं ॥ सुत्तं गणहररश्यं तहेव पत्तेयबुरश्यं तु सुयकेवलिणा रश्यं अनिन्नदसपुविणा रश्यं १ शेषं
SR No.010841
Book TitleChaturth Stuti Nirnay Shankoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
PublisherMarudhar Malav ane Gurjar Deshna Sadharmik Sangh
Publication Year1890
Total Pages538
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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