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आलिगन एव रागभावपूर्वक अवलोकन इत्यादि का वर्णन करना अपेक्षित है ।' केशव मिश्र के अनुसार पुष्पावचय के समय गोत्र - स्खलन, वक्रोक्ति सभ्रम तथा आश्लेष आदि वर्णन करना चाहिए 12 अजितसेन तथा केशव मिश्र दोनों के वर्ण्य विषय प्राय समान है ।
जल क्रीडा के वर्ण्य विषय -
जल - क्रीडा के अवसर पर जल सक्षोभ जलमथन हस व चक्रवाक का वहाँ से हटना, धारण किए हुए हार आदि अलकार का गिर पडना, जल कण-जल सीकर युक्त मुख एव श्रम इत्यादि का वर्णन करना चाहिए । केशव मिश्र ने पद्म-भ्लानि तथा नेत्रों की आरक्तता को भी प्रतिपादित करने की बात कही है जिसका उल्लेख अजित सेन ने नहीं की है शेष अशों मे दोनों के उक्त वर्ण्य विषय समान है । अन्य आचार्यों के अनुसार काव्य के वर्ण्य -विषम
इसके अतिरिक्त इन्होंने अन्य आचार्यानुमोदित अठारह प्रकार के विषयों का उल्लेख किया है जो निम्न लिखित है -
चन्द्रोदय सूर्योदय
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अचि0 - 1/65
अ00 - 6/2
अ०चि0 - 1/66
पुष्पोचयने पुष्पावचयो वक्रसूक्तय । गोत्रस्खलनमाश्लेष परस्परविलोकनम् ।। पुष्पावचये पुष्पावचय पुष्पार्पणार्थने दयिते । मालागोत्रस्खलने क्रोधो वक्रोक्तिसभ्रमाश्लेषा ।। अम्भ केलौ जलक्षोभो हसचक्रापसर्पणम् । भूषाच्युतिपयोबिन्दुलग्नास्य जलजश्रमा ।। जलकेलो सर क्षोभश्चकहसाफ्सर्पणम् । पद्मम्लानि पय क्षेपोऽक्षिरागो भूषपच्युति ।। चन्द्रार्कोदयमन्त्रद्तसलिलक्रीडाकुमारोदयो । द्यानाम्भोधिपुरर्तुशैलसुरताजीनाप्रयाणस्य च ।। वर्णयत्व मधुपाननायकपदव्योर्विप्रलम्भस्य च । काव्येऽष्टादशसखयक युतविवाहस्यापि केचिद्विदु ।।
अ000-6/2, पृ0-65
अचि0-1/68