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मन्त्र
जल क्रीडा राजकुमार का अभ्युदय उद्यान समुद्र
नगर
वसन्तादि ऋतुएँ पर्वत
सुरत
यात्रा मदिरापान नायक नायिका की पदवी वियोग
विवाह
उक्त अठारह विषयों का उल्लेख किन आचार्यों ने किया - इसका अजितसेन ने स्पष्ट उल्लेख नहीं किया है ।
शिलामेफ्सेन कृत 'स्वभाषालकार' तथा दण्डी कृत काव्यादर्श मे नायकनायिका की पदवी को छोडकर प्राय सभी विषयों का उल्लेख किया गया है । इसके अतिरिक्त इन्होंने यह भी बताया है कि वर्णन करने में निपुण कवि स्वय
का नगराणवशैलन्र्तुचन्द्रार्कोदयवर्णने । उद्यानसलिलक्रीडामधुपानरतोत्सवै ।।
विप्रलम्भे विवाहै श्च कुमारोदयवर्णनै । मन्त्रदूतप्रयाणाजिनायकाम्युदयैरपि।। अलकृतमसंक्षिप्त रसभावनिरन्तरम् । सर्गरनतिविस्तीर्णे सुसन्धिश्रव्यवृत्तकै ।। लोकस्य रजक काव्य जायते कविभूषणम् । चिरस्थायि मनोहारि जयदायि निरन्तम् ।।
बौद्धालकारशास्त्रम् भाग दो
स्वभाषालकार - 1/23-260 ख) काव्यादर्श - 1/15-19