________________
सम्पत्ति, रूप - लावण्य, आकृति, प्रभृति का चित्रण करना अपेक्षित बताया है ।' आचार्य केशव मिश्र ने इस विषय मे अजितसेन का अनुकरण किया
है 12
मदिरापान के वर्ण्य विषय -
मदिरापान के अवसर पर भमर को लक्ष्य कर भ्रान्ति और प्रेमादि का स्पष्ट वर्णन करना चाहिए । महापुरुष मदिरा को रागादि दोष के उत्पादक होने के कारण उसे नहीं पीते है । मदिरापान के वर्णन प्रसग मे व्यग्य और सूच्य द्वारा प्रेम, रति एव अन्य क्रिया व्यापारों का उललेख करना आवश्यक है। केशव मिश्र के अनुसार सुरापान मे विकलता, वचन तथा गति मे स्खलन, नेत्रों की आरक्तता, लज्जा व मान का अभाव तथा प्रेमाधिक्य के प्रतिपादित करने को आवश्यक बताया है 14 अजितसेन ने व्यग्य व प्रीति को सूच्य बतलाया है जबकि केशव मिश्र ने इसका उल्लेख नहीं किया है ।
पुष्पावचय के वर्ण्य विषय -
___ अजित के अनुसार पुष्पावचय के अवसर पर परस्पर वक्रोक्ति, गोत्रस्खलन, कहना कुछ चाहते है पर मुख से कुछ और ही निकलता है, परस्पर
स्वयवरे सुसन्नाहो मञ्चमण्डपकन्यका । तस्या भूपान्वयख्याति - सम्पदाकारवेदनम् ।।
अचि0 - 1/63
स्वयवरे शचीरक्षा मञ्चमण्डपसज्जता । राजपुत्रीनृपाकारान्वयचेष्टाप्रकाशनम् ।।
अ00 - 6/2
मधुपानेऽलिमाश्रित्य भ्रमप्रेमादिरुच्यताम् । महान्तो न सुरा दृष्या पिबन्ति पुरुदोषत ।।
अ०चि0 - 1/64
सुरापाने विकलता स्खलन वचने गतौ । लज्जामानच्युति प्रेमाधिक्य रक्ताक्षता भ्रम ।।
अ00 - 6/2