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________________ 90 APPENDIX II. Subject.- प्रयेाध्या, रघुवर दरवार और श्री सीताराम की युगल मूर्त्ति की शोभा और ध्यान का संक्षिप्त वर्णन । No.16(b). Neha Prakābikā, Dhyāna Mañjari by Bala• krishna Nāyaka. Substance-Palm-leaves. Leaves-7. Size - 131 x 1 inches. Lines per page -- 5. Appearanceold. Character~~Nāgari. Date of composition-Samvat 1749. Date of manuscript-Samvat 1898. Place of Deposit —Sarasvati Bhandāra, Lakshmana Kota, Ayodhyã. Beginning.—श्री जानकी वल्लभा जयति ॥ दोहा ॥ भूषण नग जग मग रहे दरस करत बड़ भागि । जनु दृग सां अनुराग कन मनो तन सो रहे लागि ॥१॥ मुक्तामाल कि षुभि रहो प्रिया हंसनि लगि होय । रहे अंग से उरभि प्रकि सज्जन मन कमनीय ॥ २ ॥ गूढ़ वेद वेदांत को नित सिद्धांत स्वरूप । जयति सिया हलादिनी शक्ति शक्ति गन भूप ॥ ३ ॥ प्रकृति पुरुष ते जो परे परातत्व रस रासि । सेा वह परम उपासना वहै जो परम उपास्य ॥ ४ ॥ जग जिनके सुख सिंधु नव उष जीवत जीव । पगे प्रेम रस स्वाद से रमत प्रियातम पीव ॥ ५ ॥ यह सब साज समाज सुख धाम परेश समान । काल कर्म गुन प्रकृति ते परतर जानत जान ॥ ६ ॥ सेारठा ॥ महल बहुल छविमान जरे जरायनि जगमगे । तने धने सुवितान परदा वने विछावने ॥ ७ ॥ दोहा ॥ सोचे विविध सुगंध वनि मुक्ता वंटन माल । चहुं दिश अगनित नगन युत बने भरोषा जाल ॥ ८ ॥ सुंदर गादी डुवा विविध खेल के माज । जुगल वरण सेवहि तहा प्रमुदित सखी समाज ॥ ९ ॥ End. - कह सुन न गुनत जे हिय दंपति दरसाहिं । सियवर नेह प्रकासिका वसा सदा उर मांहि ॥ ४९ ॥ प्रगटी नव श्रुति सिंधु शसि (१७४९ ) गनित समय सुभ सोय । दुख हरनी मंगल करनि भक्ति वितानी होय ॥ ५० ॥ यह मन्नेह प्रकासिका पूरि भूरि हिय ग्रास ॥ करहु लडैती लाल के चरणदास को दास ॥ ५१ ॥ इति श्रीमच्चरणदासानु जीविना वाल कृष्णेन कृतेयं ध्यान मंजरो ? ( नेह प्रकाशिका ) समाप्ता श्री रामपाद समर्पिता सं० १८९८ वैमाख कृष्ण ३० श बुधवासरे मात मैथिली राक्षसी रुव (स्तव) मितथै गर्दापराधास्त्वया रक्षत्याय बनात्वजाढषुतरा रामस्य गोष्ठी कृना काकं तं च विभीषणं शरण मित्यु कक्षमैrरक्षतः सानः सांद्रमहागसः सुखयतु क्षांतित्सना कस्मिकी १ सीताराम मात मैथिलो राक्षसी....... "कस्मिकी ॥ १ ॥ Subject. - श्री सीता जी का अपनी सखियों के साथ विहार करना । सखियों का श्री सीता जी के प्रेम की प्रशंसा करना और पुरनारियों का श्री सीता जी से मेमालाप वर्णन ।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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