SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ APPENDIX II, प्र. १७७-सौमि-शक्ति विमेद वर्णन-त्रयोदश पडू , २१५-श्री राम संगर विजय ,-चतुर्दश ,, No. 16 (a). Dhyāna mañjari by Balakrishna Nāyāka. Substance-Palm leaves. Leaves-14. Size-131 x 1 inches. Lines per page--15.--- Appearance-old. Character Nagari. Date of Composition-Samvat 1726. Date of manuscript-Samvat 1898. Place of Deposit-Saraswati Bhandara, Lakshmana Kota, Ayodhya. Beginning:-श्रीमते रामानुजायनमः । श्री रघुवर गुरु चरण तरल भवसागर जल के ॥ विघ्नहरण सुख बानि दानि विद्या बुधि वल के ॥१॥ तिहिं सुमिरि करि ध्यान नवल दंपति उर धरि के ॥ करम जोग वैराग त्याग तप छोई करि कै ॥२॥ पुरो प्रवधिवर अवधिपुरो छवि भरी साहाई ॥ जगमगाइ जन ज्योति माह विति को छवि छाई ॥३॥ शुद्ध ज्योतिमय धामनाम उचरत अघ. नासै ॥ राम चरण रतिकरण पुन्य के पुंज प्रकासै ॥ ४॥ जह थावर चर जिते तिते विधि नाहि करे हैं। सिय रघुवर अनुरक्त भक्ति पानंद भरे हैं ॥५॥ जह उपवन वर वने घुने तरवर घस राजै। धरे वलकल फल फूल मूल पल्लव पर काजे ॥६॥ झुकि रहि वडरी डार भार भरि साहत मारी ॥ छुधित नरन को मनहुं देन फल भुजा पसारी॥७॥ जह केकी किलकार करत अस पातनि डोले॥ पथिक देषि द्रुम नये देन तिनको कछु वाले ॥ ८॥ कहुँ काउ पक्षि विशेष देषियत कुहकतु पैसे ॥ कहत कथा जनु एक और तरु सुनत है वैसे ॥९॥ End.-निगमागम शिरमार जिते सव धर्म सहायक ॥ याही रस करि पुष्ट सुष्ट भये प्रगट सुमायक ।। ६४॥ ध्यान मंजरी नाम युक्ति सौरभ सुखदायक। लिये पुनीतता बढो चढो पद सियवर रघुनायक ॥६५॥ हरि प्रसाद मंजरी सकल वुध जन उर धारहु ॥ माता सम है शब्द दोष जनि कछु विचारहु॥६६॥ कोने जिनके पग्र सकल कुल पावन कर (नी) ॥ धरे नेह सो श्रवन पाप पर्वत सह हरनी ॥ ६७ ॥ याके रस हित नितहि जोह जाकी ललचावै ॥ श्री रघुवर पद प्रेम मकि साह निश्चै पावै॥ ६८॥ निंदक सिय रघुवीर माहि जग पाप गारे। जनि डारो यह तासु श्रवन जग जूठ पनारे ॥ ६९ ॥ सत्रह सै षडविंश वरस मास फालगुनि ॥ शुक्ल पक्ष पंचमी अमल शुभवार लन पुनि ॥ ७० ॥ सेहि अवसर यह ध्यान मंजरी प्रगट भई है। परम सुमंगल करनि वरनि वर मेोद नई है ॥ ७१ ॥ श्री विनोद श्रो च्यानदास जगजीव उदारक ॥ श्री चरणदास जग तोष करन जग जस विस्तारक । ७२ ॥ तिनके अनुग वनाइ रचो यह संत जनन हित ॥ या करि होर प्रसत्र नवल नागर नागरि नित २७३ इति श्रीमचरणदासानुजीविना बालकृष्णेन कृतेयं ध्यान मंजरो समाप्ता।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy