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________________ APPENDIX II. 86. या अन्य को वांचेगा करि प्रोति ताको अनुभव होहुगा जैसी याको रोति ॥२॥ गंगा यमुना मध्य में अंतर वेद मझार ॥ नगर हातरस वसत हे विदित सकल संसार || श्री ठाकुर दयाराम तहां करे धरम को राज पंडित और कवोन के राषे सकल समाज ॥ ४॥ वनावर जन पानि के करगेतही पुनि वास ॥ श्री ठाकुर किरपा करी जानि मापनो दास ॥ ५॥ श्री ठाकुर महराज के अमृत रूपी वेन सुनि के अनुभो भई लखो सुन को सेनु ॥ ६॥ कहिवो सुनिवो ना बने कहा कहाँ लो वेन ॥ गुर प्रताप ते जानिये यह गूंगे की सेन ॥ ७॥ End.-दयाराम गुरु अनुभव दोनी वषतावर जन भाषा कोनी ॥ ८६० एक हजार पाठ से जानि साठ संवत ले. पहिचानि ॥ १७९ ॥ मास अषाढ़ शुक्ल हे पक्ष ॥ दिनोफ सोमवार परतक्ष ॥ सुन्न सार यह कह्यो विचारि ॥ बुधिजन हो तुम लेहु सुधारि॥ १८०॥ अपने सुन्न स्वरूप को कामे वरनन होइ शेष शारदा थकि रहे कहा कहेगो कोइ ॥ इति श्री वस्खतावर कृत सुनसार समाप्तम् शुभम्xxxxx फागुन शुक्ला ३xxxx रे संवत १९४१ ॥ Subject.-वेदान्त । No. 13. Dangawa Parva by Balabira. SubstanceBadami paper. Leaves-64. Size -11 x 7 inches. Lines per page-19. Extent-320 Slokas. Appearance-New. Character-Nagari. Date of composition-Samvat 1608. Date of manuscript-Samvat 1946. Place of Deposit-Lālā Lakshmi Narayana, village Chaudiya, P. 0. Karachhana (Allahabad.) - Beginning.-श्री गणेशायनमः ॥ सारठ ॥ गणपति हरण कलेस करा कपा जिय जानि जन ॥ ध्यावत जेन्हहिं सुरेस, लहत सिध्य मंगल महा ॥ श्री गखेस के नाम । लेत विघ्र काटिन कटाई॥ होहि सुबुधि गुन धाम । सुख संपति कल्यान मै ॥२॥चौपाई॥ तिरहुति महा षिसाल है गाऊं ॥ कवि बलवीर वसै तेहिं ठांऊं ॥ जाति वंस छत्री कुल माहो॥ रतन सेनि तेन्ह के सुत प्राही ॥ तिन पितु सोच रवा ग्रस कीन्हा ॥ डंग सेनि घरि किमि लीन्हा । केहि विधि प्रापु युक्ति सा पाई ॥ हरि पंडव से भई लराई ॥ सा संदेह कहि (काहि) कुल केतु ॥ कहहु बुझाई भयो जिहि हेतु ॥ सुनि सुत गिरा गुरु सुख माना ॥ लागे कहन चरित करि गाना ॥ शिव आज सुक सनकादि मुनिसा ॥ पार न पावहि सहस फनीसा॥ सा मै जड़मति किमि लायक ॥ कहीं चरित अघ वाघ उड़ायेक ॥ दोहा । संवत सारह सय वरिस तापर बीते पाठ॥ कीन्हा डंगव पर्व को प्रगट पुरातिम पाठ ॥ चौ०॥ माघ सुकल मसि जव अवतारा ॥ कथा वीरवलं तव अनुसारा।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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