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________________ 84 APPENDIX It. Subs No. 11 (d) Sarā Pachisi by Avadhūta Simha. tance-Country-made. Leaves-4. Size-7 x 4 inches. Lines per page-10. Extent-87 Ślokas. Appearance-old Character---Nagari. Date of composition – Samvat 1844. Date of manuscript - Samvat 1844. Place of Deposit - Sri Devaki Nandanichārya Pustakālaya, Kāmāvana (Bharatapur). Beginning. -- श्री गणेशाय नमः ॥ येकई उदर तै प्रगट सुधा सुरा येकै रूप येकै वर्ण सवन बनाई है । अजर अमर सुधा करत प्रसिद्धि सुरासुर नर मुनि देव जोनि वसदाई है || सुधा मधुरा ईसुर लोक मैं अलभ सुरा पट रस तोना लोक सुलभ सदाई है || सुरन सुहाई गुन स्वाद गरुवाई याते सुधा सुरा नाम कै पुरानन कहाई है ॥ १ ॥ पान करि सुरन सराहि कहो सुरा जाहि वरुन दिगोसन वारुनी कहाई है । वलिभद्र कृष्ण पानि करि मदिरा है कही मानव मही मैं मधु करि ठहराई है ! प्रासव असुर पान करि अट्टहास कहो भै सिधि भूत भैरव कै साऊ मन भाई है । तीनो लोक सातौ दोप नवा बंड मंडल प्रबंडलऊ चंढ कर मद्य कहि गाई है ॥ २ ॥ End. - भूषि है जोई सुरा की हमेस गनेस समान सुबुद्धि प्रकासि है ॥ भाष है भूत भविष्य ऊ की लहि चार पदारथ मुक्ति न वासि है ॥ संहिता तंत्र पुरान श्रुति स्मृति मैटि कै जो रचि है उपहास है ॥ सेा नर पाप कलंक की कंद हरौरव मैं परि है प्रति ग्रासु है ॥ २५ ॥ असुरन सुरन गुनन गनन श्रुति पुरान स्मृति मान || ग्यान ध्यान को बांन यह पावन सुरा सुजान ॥ पावन सुरा सुजान त्रिजग सबऊ को जांनी ॥ जच्छ भूत वेताल सुजन प्रति हित कर मानी ॥ वरुन यदि वलिभद्र कृष्ण सारनि ग्रह ससुरन ॥ भूषित करो विचारि नही दृषी कहु असुरन ॥ २६ ॥ इति प्रवधूत सिंघ ऋत सुरा पचीसो संपूर्न ॥ सुभमस्तु ॥ संवत १८४४ ॥ मार्ग सुदि ११ सुक े टीका मऊ ग्रामे ॥ लितं सुदस्त Subject. - सुरापान की महिमा और प्रशंसा No. 12. Sunnasära by Bakhtawara. Substance Country-made paper. Leaves-33. Size - 10 x 5 inches. Lines per page-16. Extent-525 Ślōkas. Appearance-old. Character~~~Nāgari. Date of composition-Samvat 1880. Date of manuscript - Samvat - 1941. Place of Deposit - Kedāranātha Dūbe, Hatharasa. Beginning. श्री गणेशायनमः ॥ दाहा ॥ प्रथमहि अपने गुरुन के धरि चरनन को ग्रास ॥ सुन्न सार वरनन करतो अनुभव के परकास ॥ १ ॥ जो कोख
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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