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________________ APPENDIX II. inches.. Lines per page-11. Extent-18 adhyayas. Appearance-new. Character-Hindi. Date of composition-Sam. vat 1761. Date of manuscript-Samvat 1761. Place of Deposit-Pyare Lala Haluvai, Atrauli (Aligadh). Beginning.---यों ॥ धृतराष्ट उवाच ॥ धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में मिले जुद्ध के साज संजय मोसुत पांडवन, कीन्हें कैसे काज ॥१॥ संजय उवाच॥ पांडव सेना व्यूह लेखि दुर्योधन टिंग आई ॥ जिन प्राचारज द्रोण सा वाल्या ऐसे भाई ॥२॥ पांडव सेना अति बड़ी प्राचारज तू देपि ॥ धृष्टद्युमन तव शिष्य ने रच्यो जु (व्यूह! विशेषि ॥ ३॥ मूर धनुष धारी बड़े पर्जुन भोम समान ॥ द्रुपद महारथ और पुनि है विराट जुजुधान॥ __End.-कृश्न कृपा हात हैं भक्ति युक्त को ध्यान । तातै बंधन से छुटै यहै गीत रथ जान ॥ इहिं अठारह अध्याय मैं को मोक्ष संन्यास अर्जुन से श्री कृष्ण जू जान आपनौ दास ॥ कयौ मोक्ष संन्यास जो कृष्ण कमल दल श्याम । उर मैं धरि गिरधरन की वरन्यौं आनंदराम ॥ यह गोता अद्भुत परम श्री मुम्ब कियौ वषान । वार बार निरधार किय परा भक्ति को ज्ञाम । भक्तिवस्य श्री कृष्ण जू यहै करी निरधार । भक्ति करै बहु भांति सै यहै वेद को सार ॥ भगवद्गीता को पढ़ पौर सुनै चित लाई । पावै भकि अखंड से श्री हर सदा सहाई ॥ गीता प्रति दिन उधरै सदा सूछ मग मांहि । मनसा वाचा कर्मणा तिहिं सम कोऊ नाहिं । जो कोऊ चाहै भव तरी कृष्ण चरन को पास । और सकल श्रम छांडि कै.गीता करै अभ्यास ॥ लोक कृतारथ के लिए सवैग्यान को साध । प्रानन्दराम हो यह करयो परमानन्द प्रवाध ॥ परमानंद प्रवोध यह कीनो आनन्दराम । पढ़ गुनै या कों सुनै सा पावै प्रभु धाम ॥ नारायण निज नाम को धरयो देह को ध्यान । अपनी मानन्द राम को भक्ति दई भगवान ॥ जव लगि रवि शशि मेरु महि अगिन उदधि थिर होई । परमानंद प्रवोध यह तब लगि जग मैं जाई । तब लग दीपति भानु को ताप सहै सब देस। जब लगि दिष्ट परमी नहीं हरि गोता राकेस ॥ शशि रस उदधिधरा १७६१ समित कार्तिक उज्जल मास। रवि पंच्या पूरन भयो यह गीता परकास ॥ इति श्री मत्महाभारते शत साहस्रयां संहितायां वैय्यासक्यां भीष्म पर्वणि श्री तत्सदिति श्री मद्भगवद्गीता सपनिषत्सु ब्रह्म विद्यायां योग शास्त्रे श्री कृष्णार्जुन संवादे दोहा सहित भाषा टोकायां मोक्ष संन्यास योगो नामाष्टादशो अध्याय ॥१८॥ श्री कृष्णार्पणमस्तु ॥ श्रीरस्तु ॥ श्री राधादामोदरो विजयते ॥ श्री सीता रामचंद्रायनमः ॥ समाप्त ॥ दागिरिधारी लाल पत्रो कलम खुद । Subject.-भगवद्गीता का भाषानुवाद ।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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