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________________ APPENDIX II. 79 पानंद मन उच्छव भयो हरि गीता अवरेषि दाहारथ भाषा करी वानी महा विशेषि ॥ टी॥ धृतराष्ट्र पूछत हैं संजय से कि हे संजय धर्म को क्षेत्र पैसा जु कुरुक्षेत्र ता विषे एकत्र भये हैं अरु युद्ध की इच्छा करत है जैसे मेरे अरु पांडव के पुत्र ते कहा करत भये ॥ दो० ॥ धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में मिले युद्ध के साज । संजय मो सुत पांडवन कीनै कैसे काज ॥१॥ End.-जोगेश्वर श्री कृष्ण जू पाजून हैं जा ठौर । तहां विजय ग्रह नीत है राज संपदा और ॥ ७८ ॥ कृष्ण कृपा ते होत हैं भकि जुक्त को ग्यान । ताते बंधन ते छुटै यह गोतारथ जान ॥ १॥ इहि अठारयै ध्याय मैं कह्यो माक्ष सन्यांस । अर्जुन श्री कृष्ण जू जान मापनौ दास ॥ कह्यौ मोक्ष सन्यांस जो कृष्ण कवल दल स्याम । उरमै धरि गिरिधरन को वरभ्यों पानंद राम ॥३॥ यह गीता अद्भुत परम श्री मुष कोयौ वषांन । वार वार निरधार किय राज भक्ति को ग्यान ॥ ४॥ भक्ति वश्य श्री कृष्ण जू यह करो निरधार । भक्ति करै वहु भांति सै यहै वेद को सार ॥ ५॥ भगवद्गीता कोऊ पढ़े और सुनै चित लाइ। पावै भक्ति अषंड सौ श्री हरि सदा सहाइ ॥ ६ ॥ गीता प्रति दिन उचरै सदा सुक्षम जग मांहि । मनसा बाचा कर्मणा तिहि सन कोऊ नाँहि ॥ ७ ॥ जो कोऊ चहै भव तरसो कृष्ण वचन को पास । और सकल श्रम छाड़ि कै गोता करै अभ्यास ॥ ९॥ लेाक कृतार्थ के लीयै सवै ज्ञान को साध । पानंदरामहि यह को परमानंद प्रवाध ॥ १० ॥ परमानंद प्रवोध यह कीन्हीं ग्रानंदराम ॥ पढ़ गुनै या को सुनै सो पावै प्रभु घाम ॥ ११ ॥ नाराहन निज नाम को धरौ देष के ध्यान । अपनी प्रानंदराम कौँ भक्ति दई भगवान ॥ १२ ॥ जव लगि रवि ससि मेरु महि अगिनि उदधि चिर होइ। परमानंद प्रवाध यह तव लग जग मै जोइ॥१३॥ तव लग दीपति भानु की ताप ति हैं सह सव देस। जव लगिदृष्टि परमो नहीं हरि गोताराकंस॥१४॥ ससि रस उदधिधरा सिमति कातिग उजलमास । रवि पाँच्या पूरन भया यह गीता परकास ॥ १५॥ इति ॥ श्रीगxदीxx नि x सु४ झX द्यायो ४ साx . श्री x पण x न ४ वाxदो टोx यांxxराxxnx मा ४ दx वो x मोx संxसxगो xमxष्टाxशोx यः॥१८॥ श्री गीतासंपूर्ण श्री लिखीश्रीभंडूराम बाह्मण पठनार्थ गोपालदास वैस्य जी यादृशं पुस्तकं दृष्टा तादृशं लिखितं मया यदि शुद्धम शुद्धमवा ममदोषो न दीयते १ मिती माह वदी २ रविवासरे संवत १९०० श्री शुभ समाप्तम् ॥ श्री भगवानुवाच ॥ भगवान् परेमेशान".... .........श्री (व) (रा) (ह) (पु) (रा) ये .........."म् ॥ Subject.-श्री मद्भगवद्गीता-टीका सहित । No. 9 (6). Bhagawad-Gītā, by Ānanda Rāma. Substance-Country-made paper. Leaves--112. Size-6 x 6
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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