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APPENDIX II.
विरह वाधा हरोगे॥ टरें नाहीं हिये ते हेत थातो ॥ सम्हारो पाय के प्यारे संघाती ॥ बढ़े पासा हिये भादों नदी सी। नदी से काम से छोभा वरीसी॥ तिहारी है दुखारी बूझिये क्या ॥ सुनो सुख देन प्यारे दीन हैं यों ॥ दई मारो न को अब दया पाना ॥ पर पां दूर ते ब्रजनाथ मानो ॥ सनेही ह तुम संग राछ जाने ॥ सबै मिल रावरे गुन को बखानें ॥ अजू अब सक लागे प्रान प्यारे॥ सुनें जिन कान दें अब गुन तिहारे ॥ तिनें घर बात कैसे सह परे हैं ॥ बिना ही काज जियरा जूझ मरे हैं। हमें तुम तो लगो सब भांति नीके ॥ करी किरपा हरौ यह साल हिय के ॥ कहा वारै निछावर है ढों हैं। कई कोली कही है जो कही है। रसिक शिर मार हो रस राखि लीजै ॥ तनिक मन मान के गुन चित्त दोजै॥ घरैया नाव को अब नाव ऐसे ॥ दुहाई है सुहाई ये पैर कैसे ॥ सदा ते सांवरे बिन मोल चेरी ॥ घरन ते काढ वन वन सो न घेरी॥ किये को लाज है ब्रजराज प्यारे ॥ विराजो सोस पै जग मैं उजारे ॥ सदा सुख है हमें तुम साथ पाछे लगी डोले छवोले छांह पाछे ॥ तुमे देखें तुमे भेट भले ही ॥ जगे साएं रु बैठे यां चले हो ॥ न न्यारी हैं न न्यारो हैं न न्यारी॥ भई हे प्रान प्यारे प्रान प्यारी॥ हमारी तो तिहारी पक बातें ॥ रंगोले रंगराती छोप गते ॥ सदा आनंद के घनस्याम संगो। जियो ज्यावा सुधा प्यावा अभंगी॥ इति वियोग वेली समाप्त ॥ श्री श्री श्री श्री श्री दः राधाचंद मिः सामनव०२ संवत १९४८ ॥
Subject.-विरह पौर वियोग।
No. 9 (a) Srimad Bhagavadgita by Ananda Rama Substance--Country-mado paper. Leaves--99. Size--13 x 6 inches. Lines per page-12. Extent-2,400 Slokas. Appearance--old. Character-Nāgari. Date of compositionSamvat 1761. Date of manuscript-Samvat 1900. Place of Deposit-Srimad-Matangadhwaja Prasada Singha, village Baswana (Aligadh).
Beginning.-श्रीपेxय ४ मा ओ३म् अस्य श्री........."इति न्यासः॥ प्रथ भगवद्गीता भाषा संयुक्त लिष्यते दो हरि गोरी गणेस गुरु प्रणवों सीस नवाय गीता भाषारथ करौं दोहा सहित बनाय ॥१॥ सुथिर राज विक्रम नगर नृप मनि-नृपति अनूप थिरि थाप्यो परधान यह राजसाम को रूप ॥ २ ॥ नाजर पानंद राम कै यह उपज्यो चित घाव गीता की टीका करौं सुनि श्री धर के भाव ॥३॥
मूल-श्रीxx यमः ॥ धर्म........."मववीत् ॥२॥ गीता ग्यान गभीर लपि रची जुबानंद राम कृष्ण चरन चित लगि रह्यो मन में पति अभिराम ॥४॥