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APPENDIX II.
Beginning.-अथ वियोग घेलो लिष्यते ॥ आनंद कवि कृत वियोग वेली ॥ बंगला विलावल । सलोने स्याम प्यारे क्यों न पायो दरस प्यासो मरें तिनको जिवावो कहां दो जू कहां है। जू कहां हो लगे प प्राण तुम से दो जहां है॥ रही किन प्राण प्यारे नैन मागे तिहारे कारणे दिन रैन जागे॥ सजन हित मानि कै ऐमीन को मई हैं बावरो सुधि प्रानि लीजै ॥ कही तब प्यार से सुष देन बाते । करौं अव दूर ते दुष देन घात ॥ बुरे दो जू बुरे है। जु बुरे हो । अकेलो कर हमें ऐसे दुरे हो ॥ साहाई है तुमें यह बात कैसे ॥ सुखो है। स्याम रे हम दीन ऐसें ॥ दिखाई दीजिये हाहा अमोही॥ सनेहो है रुषाई क्यों वसाहो ॥ तुम बिन सांवरे ये नैन सूने ॥ हिये में दे लिये विरहा प्रभूने ॥ उजाग जो हमें काको वसे हो॥ हमें यों रोइवो और हंसे हो॥ कहीं अब कौन सा विरहा कहानी ॥ न जाने हो न जाने हो न जानी॥ लिषों कैसे प्यारे प्रेमपाती। लगे अंसुमन भरी है टूक छाती॥ पर है पान के प्रैसौ अंदेसा ॥ जरावे जीभ और कानन संदेसी ॥ दसा है पटपटी पिय पाय देवो न देखा तो परेषो है परे ।
End.-तुम्हें विन क्यों जिएं तुम हो विचारो॥ बचे कैसे कहो तुम हो जो मारो । रहो नीके अजो घनस्याम प्यारे। हमारे है। हमारे हो हमारे ॥ तिहारी हैं तिहारी हैं तिहारो॥ विचारी हे विचारो हैं विचारी ॥ तुम्हारे नाम पै हम प्रान वारै ॥ जहां दो जू तहां रहिये सुषारो॥ तुमें निसि धोस मन भावन पसोस । सजोवन दो करो हम पे कसीसे लगे जिन लाडिले जू पान ताती। साहाइ है तु हमें तुमको साहातो॥ गहीं तुमही जो प्यारे दोन दासें ॥ दया को दृष्टि से फिर कौन पोसै ॥ सुरत कोजै बिसारे क्यों बनेगी ॥ विरहनी यो अवधि को गिनेंगी ॥ हियो ऐसे कठिन का ते किया है। मिलो पौरन हमें विरहा दिया है। नहीं पाई परे प्यारे लपेटें। कहो हाहा कहां चौहाय पेटें। भई सूची सुनो बांके विहारी॥ न करिहें मान फिर साहैं तिहारी॥ चढ़ी थों मूड़ प्रव पायन परैगो॥ कही जोई प्रजू साई करेंगी। दई को मान के मान जायो । प्यासी हैं प्यारे रस पिवावो ॥ तिहारीकै विठुर क्या है जियेगी ॥ विरह घायल हिये ज्या त्यो सियेगी। यही पावै पजु प्यारे अंदेसा ॥ रह्यो पहचानु को ही में न लेसो ॥ विसांसिन वांसुरो फिर हू सुनेंगो। कियो हो सोस लौं सिर को धुनेगी॥ न तोरो जी कहो क्या हो व जोरो॥ निगोड़ी प्रीति के दुःख देन डोरी॥ करो तुम तो पजी गुनखांन-हांसी ॥ परो गाढ़ो गरें विसवास फांसो॥ न छूटै जुन छूट जू न छूटे। ठगौरी रावरो विरहा न लूटै ॥ हमारे है जो तुम से एक टेक प्यारे॥ मिले हम से सकपटी गये न्यारे॥ चकोरो बापुरी ये दोन गोपी। हे वजचंद व्या पहचान लेोपी। क्वीले छैल तुमको पीर काको। विथा की बात ते छाती जु पाको ॥ सजीवन सांवरे कब लो दरोगे । मरे साधा