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APPENDIX III.
Subject.-विविध विषय की नाम रहित पुस्तक No. 111. Substance-Country-made paper. Leaves---64. Size-8 x 12 inches. Lines per page-18. AppearanceOld. Character-Nagari. Placo of Doposit-Pyūrā: Lāla, Halwai, Atarauli.
Beginning.-करि २ जोर चरण सिरनाय २ मिसपाल नेह बढ़ाय रहे मसलत मंत्री सां करे बैठे गुरु चरनन सीस नवाय रहे जवाब सिसपाल का गुरु से ॥ सारठ॥ सुनो गुरु महाराज, कौन जतन कहो कीजिये ॥ बैठे सकल समाज मिलकर मसलत कीजिये ॥ छंद ॥ ममलत मिले महाराज नीके होय काज विवाह के ॥ जादव मुने को ये प्रबल संग्राम करे उमाह के । अरजुन निकुन सहदेव योधा भीम उनको चाह के ॥ करिये कृपा महाराज मालिक आप नाथ विवाह के ॥ स्वामी जी निश्च्यें हमे प्रतीत युद्ध विन व्याह न होई ॥ जो कोई सनमुख परे लड़े बिन जाय न जाई म्वामी जी रोक बाह संतोष नपे विम्वास न माई । जरासिन्धु से लड़े वाज अपनी मत सेाई
End.-लई विपत ने घेर टेर करुना कर तुम्हें पुकारो ॥ नाथ निठुर क्यों बनें पति बिना होगो अपस हमारी ॥ घट २ व्यापक पारब्रह्म प्रगटे लख माय दुखारी। करी विहुनी माय कंथ ते मम सुध लेऊ मुरारी विकल बिन कंथ निहोऊं ॥ स्याम सुन्द्र कर जारूं नेह निज घर से तारं ॥ अब कल परै न नाथ पिया बिन चूरी अपनी फारूं॥
Subject.-जरासन्ध और कृष्ण युद्ध को नाम रहित पुस्तक No. 112. Substance--Country-mado paper. Leaves--17. Size-6 x 9 inches. Lines per page-12. Appearance-New. Character-Nagari. Place of Deposit-Pandita Saliga Rama,
P. O. Jalali, Aligarh. ___Beginning.-हारी कैसे २ खेलें जो हम इन पोपन के संग-कुफर बके पौर सुलफा पीवें दिन भर घोटे मंग-पोकर मतवारे से होकर बहुत करें हैं तंग-मट्टी मार धूर उड़ावें भरें मुठी में रंग-फैके देख खुली आंखन में ऐसे बढ़ के नंग-लम्बे २ तिलक लगावें देखो इनके ढंग-वेद पढ़ें नहीं शास्तर देखे झूठो करते जंग-मास खांय और मदिरा पीवें पूजे देव अनंग-करै व्यभिचार पतित शूद्रा से कहें हाय लेऊं गंग। ___End.-अरे हारे प्राणी भूले मत रे-कमाई सत धरम क्या लेकर पायो यहां संग कहा ले जाय । ठाठ पड़े सव यहां रहे रे तब मन में पछताय । सुत दारा माता