SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 510
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ APPENDIX III. 601 उपदेश किया उपदेश करते ही कंचन रूपो शुद्ध हो गई ज्ञान और वैराग्य रूपी को पुत्र भये सा पुत्र आनंद रूप कूदे हैं उस्का आश्रम बुद्धि का जो अंतः करण था सा पत्थर स्थानो क्या भया कि जिस विषै संकल्प विकल्प नहीं फुरता और इंद्रिया प्राण मन और देह रूपी कुटंब बुद्धि का सभ मर गया और विद्या रूपी माता और विचार रूपी पिता दोनों का ठिकाना नहीं लगा कि दोनों का प्रभाव हो गया जो होते तो पावते जो विचार रूपो वाण व्यवसायात्मिक बुद्धि के मारा था साई वाण गुरू रूपी राजा विषे लय हाय या और राजा के रथ के लय होनें स्थांनी समाधि स्थित हो गये गुरु कि.गुरु यथास्थित हो गये और अहेड़ी रूपी अहंकार ममक्ष का मर गया कि जिस्को जोव कहै है और राजा रूपो गरों को सेनां स्थानों श्रवण मनन निदिध्यासन रूपी सेना लय हो गई और शिकार के देखने वाले स्थानी अन्य शास्त्रवादी सभ भाग गये कि उनका सिद्धान्त नहीं बना इस विचार विषे दो गुरु शिष्य रूपी विकल्प पाये थे सा शिष्य नै प्रश्न रूपी हाथ करके ब्रह्म रूपी श्रद्धा करी साई चरण पकड़े सेा गुरु शिष्य के उड़ने रूपी दोनों के व्यवहार तप हो गये ऐसा व्यवहार प्रज्ञान रूपी स्वप्न विषे होवै है ॥ ७ ॥ इति दृष्टांताः समाप्ताः संवत् १९११ माघ शुदि एकादशो यादृशं पुस्तकं दृष्ट्वा तादृशं लिषितं मया यदि शुद्धमशुद्धं वा मम दोपो न दोयते ॥ श्री॥ Subject.-ज्ञान । No. 110. Substance-Country-made papor. Leaves-32. Size-7x8 inches. Lines per page-16. Extent-66 Slokas. Appearance-Old. Character-Nagari. Place of DepositPandita Saliga Rama, P. O. Jalali, Aligarh. Beginning.-राम कृष्ण योगो पुरुष थे पूरण विद्वान गुण स्वभाव सत्कर्म से जग प्रसिद्ध भगवान ॥ ईश्वर अवतार बताय के तुम उनको निन्दा करते कहीं दधि माखन चारी का दोष लगाया कहीं दासी से विभिचारी उन्हें बनाया x कहीं छलो फरेवी भूठा उन्हें बताया x कहीं रार कराने हार कृष्ण ठहराया। ___End.-सरे मैदां बजाकर पापजी भी ढोल बैठे हैं मुकाबिले आके शेरों के ये गोदड़ बोल बैठे हैं शराबी भंगड़ो चरमो कवावो और व्यभिचारी अघोरी कुल दुनियां के बनाकर गोल बैठे हैं। जो हैं पंडे पुजारी जो टका पंथी है मत इनका-बनाये ढांग बैठे हैं छिपाये पोल वैठे हैं। महीधर शायणादिक ने बिगाड़ा पर्थ वेदेने का उसी मतलब पर भतखऊए भी होकर गोल बैठे हैं न कुछ बेजा कहा हमने कहा जो था पुराण में रतन अनमोल जो कुछ थे उन्हें हम रोल बैठे हैं उतर पायें हैं अब शमा गालियों पर अब ए पौराणिक लड़ाई मोल लेने को ये हिन्दू हाल बैठे हैं।
SR No.010837
Book TitleTenth Report on Search of Hindi Manuscripts for Years 1917 to 1919
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Bahaddur Hiralal
PublisherAllahabad Government Press
Publication Year1929
Total Pages532
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy