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Subject. - विविध कवियों के यश वर्णनात्मक कवित्तों का संग्रह जिसमें एक नहीं अनेक राजा महाराजाओं के यश वर्णित हैं ॥
APPENDIX III.
No. 108. Yuga Rasa Ratna Prakāsika. Substance-Coun try-made paper. Lucaves - 45. Size - 11 x 7 inches. Lines per pago-20. Extent-3,375 Ślokas. Appearance-New. Charactor—Nāgari. Place of Deposit - Panlita Rādhā Chanāra, Balē Chaubē, Mathurā.
Beginning. — श्री मद्रसिकानन्य मुकट मनि स्वामी श्री हरिदासा जयति || भूमिका | अथ श्री स्वामी वीठल विपुल जू के पद रत्ननि की युग रसरत्न प्रकाशिका टीका लिख्यते | दोहा | श्री हरिदासी चरण नख चंदन वंदा नित विपन सिंधु रस रतन तिन सहज प्रकाशे चित्त १ श्री जय सहरि विपुल उर रुप लै प्रगट्यो नाम युग रस रत्नप्रकाशिका लिया साई अभिराम २ अथ भूमिका श्री स्वामी वीठल विपुल जू रस सागर आप रसिक जौहरिनु के परख नहि त रस रन राजी प्रगट कोनी सेा जैसे वैड्र्यादि रत्न अपनी कांति सौ भवन में प्रकाश करे अरु निकट वस्तु को प्रतिविंव अंतर फलकावे तैसे इनकी कांति से श्री वन में प्रकाश है अरु ता सागर के हर्ष देन हारे सहचरि उर प्राची मैजिनको उदया विवि चंद अरु मीनवत परिकर की प्रतिबिंब अंतर झलक है या आयो कि प्रतिविंव तो अंतर झलके है सा प्रिया पिय सहचरि उर सज्या पे बिहरै ते तो इनके अंतर है अरु प्रतिविंव सहित कांति जा है सेा कुंज कुंजलता पत्र प्रसून पुलिन जमुना यदि सर्वत्र फैलि रहो है X X टीका । प्रात इति सैन कुंज ते आलस युक्त दाउन की प्रवत लपि सपी को कहनि सषी सौ कहै सषि प्रात समै सैन के अनंतर ता सैन कुंजते प्रावत जो जुगल किशोरे ते मैं ने कुंजनि की पोरी कही कुंज गली मैं देपे कैसे हैं बालसभरे आलस करि पूर्ण अंग अंग भरे हैं कौन भांति कि पिय कैता लटपटी सिथन पाग है अरु छूटे बंद कहा ता पाग के पेच वा कंचुक की तनी पा पदुका की वधनि ते छुटे अरु प्रीया की वैनी विथुरी कहा फेलि रही है X x (मूल) - ) - प्रात समै यावत जु आलस भरे जुगल किशोर देखें कुंजन की पारी लटपटी पाग छुटे बंद पिय के प्रिया की वैनी विथुरी छुटी कचडारी ललितादिक देषत जु नैन भरि प्रति अद्भुत सुंदर वर जोरी || श्री वीठल विपुल पुहुप वरषत नभ तृन टुटत अव हो हो हो री ॥ १ ॥
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End. - पिय पीतांवर मुरली जीती लूटत निशि वीता
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हाहा करत न देत लाडिली चरन X रसरीती ॥ ४० ॥ ललितादि जो