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चचा चले सगुन मनाय ॥ तुमारे श्रीपति सदा सहाय ॥ अलस मांहि जनम गुमायो || विनिं कोरति नाहि सव पायेा ॥ ६ ॥
End. - दादा हम हरि जी की सेवा कोन्ही । प्रष्ट सोद्धी और ना निधी दिन्ही ॥ प्रहलाद उ तरि गये पारा ॥ बारि न पाये यह संसारा ॥ ३३ ॥ डडा. मोटी गई राडा बहोत मुष पाये ॥ विप्र सुदामा हरि गुन गाये । वार पडी स ग थारे ॥ सूराय वैकुंठ पधारें ॥ ३४ ॥ ईति सुदामा जी को बाराबड़ि संपुर्ण । श्री ॥ श्री श्री ॥ श्री ॥ श्री ॥ मोति जेष्ट मूदि १५ शुक्रवार नैपुरी हुई पोथी नंदा कीरपाराम कबिटा को ॥ १८५४ ॥
Subject. - सुदामाचरित्र ।
No. 99. Swarōdaya. Substance-Country-made paper. Leaves-39. Size - 51⁄2 x 4 inches. Lines per page-7. Extent-400 Slokas. Appearance-old. Character— Nāgari._Place of Deposit — Pandita Chandra Sēna Pujâri, Gaigāji ka Mandira, Khurja, Bulandasahar.
Beginning.—श्रो गणेशायनमः । अथ स्वरोदय ग्रंथ लिख्यते ॥ श्लोक ॥ शांत शुद्धे सदाचारे गुरु भक्त्यैक मानसे ॥ दृढ़ चित्ते कृतज्ञे च देयं चैव स्वरोदयं ॥ १ ॥ टीका । भजेा शांतीक होय शुद्ध होय सदाचारी होय ॥ गुरुभक्ति होय एकाग्र मन होय ॥ जी को चित्त विकल न होय ॥ जो पराया उपकार कू मानें ॥ सेा सेा पुरुष होय ताकू स्वरोदय दीजे ॥
APPENDIX III.
End. - जो अपन भौरा न दीवै तो नवे दिन मृत्यु जानिये | जब शब्द न सुनें तव सातये दिन मृत्यु जानिये । नांसिका ना दीवै तव तीजे दिन मृत्यु जानिये ॥ तारका नदीषै तव पांचमे दिन मृत्यु जानिये । जिह्वा न दोषे तव पक दिन में मृत्यु जानिये या भेद महादेव जी ने पारवती सूं कहा है ॥ २०० ॥ श्लेाक प्रमाण ४०० ॥ इति श्रो पवन वियज्ञ शास्त्रे स्वरोदय भेद सटीक संपूर्णम् ॥ ० ॥ शुभं वाच्यं ॥
Subject. - स्वरादय । शरीर के भिन्न २ अंगों के भिन्न २ लक्षण चार स्वरादि से काल ज्ञान के लक्षण आदि का वर्णन ।
No. 100. Thakuraji ki Ghodi.
Substance-Country
made paper. Leaves – 6. Size - 6 x 54 inches. Lines per page-8. Extent-38 Ślōkas. Appearance-Old. Character—Nagari. Place of Deposit - Sri Devaki Nandanāchārya. Pustakālaya, Kāmabana, Bharatapur State.